कुछ लोगों की नापसंदगी से डरिए मत...
कुछ लोगों की नापसंदगी से डरिए मत, क्योंकि जिन्हें शिकायत करनी हो, वे आपकी साँस की गति पर भी सवाल खड़ा कर सकते हैं। ऐसे लोगों से मानसिक दूरी बनाना आत्मसम्मान की पहली शर्त है। जीवन किसी की स्वीकृति की मोहताज नहीं, बल्कि अपने विवेक और आत्मबोध पर टिका होता है।
जो लोग हर वक्त आपको असहज करें, आपकी उपस्थिति में खुद को बड़ा साबित करने की कोशिश करें, वे आपके लिए विषाक्त वातावरण का हिस्सा हैं। यह आवश्यक नहीं कि आपकी अनुपस्थिति से उनकी सोच बदले, पर यह तय है कि उनकी अनुपस्थिति से आपकी साँसें सहज होंगी। हमारे चारों ओर का दायरा ही हमें गढ़ता है — जैसे मिट्टी पौधे को आकार देती है।
इसलिए यह तय करिए कि आप किस तरह के लोगों के बीच रहना चाहते हैं — वे जो सुनते हैं, समझते हैं, या वे जो बस दूसरों को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं। हर मुस्कान, हर चुप्पी, हर असहमति एक फ़िल्टर है — और इस फ़िल्टर से छनकर ही आपकी असली दुनिया बनती है। बदलना पाप नहीं, पर ख़ुद को खो देना मूर्खता है।
इसलिए अपने जीवन-दायरे को पहचानिए, चिन्हित करिए — और ज़रूरत हो तो रेखा खींच दीजिए।
–प्रवीण त्रिवेदी
कुछ लोग आपको नापसंद करे तो परेशान मत हो जाइये.यकीन मानिए आप उनकी शर्तों पर जीयेंगे,उनके मन माफिक व्योवहार करेंगे वे तब भीं आप में कोई नुक्स निकालेंगे. आपको उनसे मानसिक तौर पर डिटेच होना है ,यानी अपनी सेल्फ रेस्पेक्ट और सही गलत के नजरिए से जिसे आप सही तरीका मानते है वैसा जीना हैं ।जिंदगी का यही फिल्टर है ,इससे आप के पास वही लोग मौजूद होगे जिनमें दूसरे को देखने सुनने और एक दूसरे की रेस्पेक्ट करने के रिसेप्टर है .आपके आस पास का एनवायरमेंट आपको "बिल्ट" करता है ,जी हां हम भी एक सेल की तरह है जिसमें रोज बदलाव होते है ,अच्छे बुरे । जो एनवायरमेंट आपको हमेशा "एज "पर रखे जहां आप कंफर्ट पर नहीं है ,नेचुरल नहीं है वो एनवायरमेंट आपके लिए हेल्दी नहीं है। ये सच है आपकी गैर मौजूदगी से उनके सोचने के तरीके में कोई फरक नहीं पड़ेगा ,ना उनकी जिंदगी में ! पर उनकी गैर मौजूदगी आपके "कोर्टिसोल लेवल" को कंट्रोल रखेगी ,आपकी " एंग्जाइटी ' को भी। हमारा सर्कल हमे शेप देता है।
बदलना बुरा नहीं है पर सही सर्कल में रहना भी जरूरी है। अपने सर्कल को स्केच पेन से मार्क कीजिए।
– अनुराग आर्या
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