Gen-Z क्या है ? इसे सोशल मीडिया की लत क्यों है? आइये जानते हैं...।

Gen-Z क्या है ? इसे सोशल मीडिया की आदत या लत क्यों है? एक्सपर्ट ने बताई ये वजह और इसके डराने वाले साइड इफेक्ट्स भी.... आइये जानते हैं।

जैसा कि हम सबको मालूम है कि  बीते कई दिनों से नेपाल लगातार चर्चा में बना हुआ है। दरअसल यहां सोशल मीडिया एप्स पर सरकार की तरफ से लगाए गए बैन के बाद से ही युवा, खासकर Gen-Z आक्रोश से भर गया है तो आइये जानते हैं कि ये Gen-Z है क्या? और इस जेन-जी को सोशल मीडिया की लत क्यों है?  

Generation अर्थात्‌ मानव जाति की विभिन्न पीढ़ियों का अपने जन्म वर्ष के अनुसार सम सामयिक विभाजन करके विभिन्न नामकरण किया गया है जो कि इस तरह से है...

Gen- L ( Last Generation) -1883 -1990
Gen- G (Greatest Generation) -1990-1927
Gen- S ( Silent Generation) - 1928-1945
GEN-B B ( Baby Boomers Generation) - 1946-1980
Gen- X ( Generation X ) -1965 -1980
Gen- Y 1981 - 1995
Gen-Z 1996 -2010
Gen- ( Alfa Eye Generation ) - 2010 -2024

दरअसल वर्ष 1996 से लेकर 2010 के बीच की जनरेशन Z कहलाएगी जैसा कि हम सबने विगत समय में दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के माध्यम से जाना ही है कि किस जनरेशन को क्या नाम दिया गया है।

जेन-जी के पास लोगों से बातचीत के लिए रियल कनेक्शन की काफी कमी होती है। समाज में रहने के लिए लोगों से जुड़ाव की जरूरत है और इसलिए जेन-जी सोशल मीडिया से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। पोस्ट पर मिलने वाले लाइक, शेयर और कमेंट्स से डोपामाइन बढ़ता है, जो उनके लिए लत बन जाता है।

साथ ही अपने साथियों का लगातार दबाव, तुलना, FOMO, पढ़ाई और करियर के लिए तनाव की वजह से जेन-जी नकारात्मक और असंतुष्ट रहते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर उन्हें वास्तविकता से दूर रखने और रिलैक्स करने में मदद करता है।

जेन-जी पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव क्या है?

सोशल मीडिया कई तरह से जेन-जी को प्रभावित करता है। हालांकि इसके ज्यादातर प्रभाव नकारात्मक ही होते है। इसके नकारात्मक प्रभावों में अकेलापन, डिप्रेशन, एंग्जायटी, असंतुष्टि की भावना, खराब नींद और डाइट, सोशल इसोलेशन, सोशल एंग्जायटी,बॉडी इमेज से जुड़ी समस्याएं और साइबरबुलिंग शामिल हैं।

मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है सोशल मीडिया?

रोजाना इतने सारे लोगों के साथ अपने जीवन की लगातार तुलना करने से उनमें आत्मसम्मान में कमी, खुद से नफरत, खुद पर संदेह और हीन भावना पैदा होती है, जिससे वे खुद के बारे में और अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में एंग्जायटी, डिप्रेशन, आक्रामकता, खुद को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार और सुसाइड के विचार की ओर बढ़ते हैं।

इन बातों का ध्यान रखें पेरेंट्स

माता-पिता को अपने जीवन और ऑनलाइन अनुभवों के बारे में नियमित रूप से बच्चों से बाचतीच करना चाहिए। इससे आप उनकी सोशल मीडिया एक्टिविटीज और ऑनलाइन दोस्तों के बारे में जान सकेंगे। इसके अलावा इंटरनेट इस्तेमाल के लिए समय निर्धारित करें, स्क्रीन-फ्री टाइम और एक्टिविटीज बनाएं और उन्हें सोशल मीडिया, ऑनलाइन इंटरनेट के खतरों के बारे में जागरूक करें, साइबर सेफ्टी और कानून के बारे में जानकारी दें।

सोशल मीडिया पर कितना समय बिताना सही है?

रोजाना इस्तेमाल के लिए 40-45 मिनट का समय पर्याप्त है। जो लोग घंटों सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं, उन्हें इसे धीरे-धीरे कम करने की कोशिश करना चाहिए।


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