काशी ( बनारस/ वाराणसी) में गुप्त रहस्य 64 (चौसठ/ चतुष्ट / चौसष्ट्टी ) योगिनी तीर्थ-यात्रा....।
⭐ काशी में गुप्त रहस्य ६४ चौसठ/ चतुष्ट / चौसष्ट्टी योगिनी तीर्थ-यात्रा 🔱
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समस्त पृथ्वी में सर्वतीर्थों की राजधानी काशी में गुप्त व गूढ़ -रहस्यों से भरी हुई, तीर्थ-यात्रा के बारे में दुर्लभ शास्त्रों,पुराणों, ग्रंथों,वेदों में वर्णित व प्रमाणित गुढ़-रहस्यो को आप भी जानिए....।
कृष्णपक्षस्य भूतायामुपवासी नरोत्तमः।
तत्र जागरणं कृत्वा महतीं सिद्धिमाप्नुयात् ।।४९।।
प्रणवादिचतुर्थ्यन्तैर्नामभिर्भ क्तिमान्नरः।
प्रत्येकं हवनं कृत्वा शतमष्टोत्तरं निशि।।५०।।
संसर्पिषा गुग्गुलुना लघुकोलप्रमाणतः ।
यां यां सिद्धिमभीप्सेत तां तां प्राप्नोति मानवः ।।५१ ।।
नामानीमानि यो मर्त्यञ्चतुःषष्टिं दिने दिने ।
जपेत त्रिसंध्यं तस्येह दुष्टबाधा प्रशाम्यति ।।४२ ।।
न डाकिन्यो न शाकिन्यो न कूष्मांडा न राक्षसाः ।
तस्य पीडां प्रकुर्वन्ति नामानीमानि यः पठेत् ।।४३ ।।
शिशूनां शांतिकारीणि गर्भशांतिकराणि च ।
रणे राजकुले वापि विवादे जयदान्यपि ।।४४ ।।
लभेदभीप्सितां सिद्धिं योगिनीपीठ सेवकः ।
मन्त्रान्तरारायेपि जपंस्तत्पीठे सिद्धिभाग् भवेत् ।।४५ ।।
बलिपूजोपहारैश्च धूपदीपसमर्पणैः ।
क्षिप्रं प्रसन्ना योगिन्यः प्रयच्छेयूमनोरथान् ।।४६ ।।
शरत्काले महापूजां तत्र कृत्वा विधानतः ।
हवींषि हुत्वा मंत्रज्ञो महतीं सिद्धिमाप्नुयात् ।।४७ ।।
आरभ्याश्वयुजः शुक्लां तिथिं प्रतिपदं शुभाम् ।
पूजयेन्नवमींयावन्नरश्चिन्तितमान्तुयात्।।४८।।
यां यां सिद्धिमभीप्सेत तां तां प्राप्नोति मानवः।।५१।।
चैत्रकृष्णप्रतिपदि तत्र यात्रा प्रयत्नतः ।
क्षेत्रविघ्नप्रशान्त्यर्थ कर्तव्या पुण्यकृज्जनैः।।५२।।
यात्रां च सांवत्सरिकं यो न कुर्यादवज्ञया ।
तस्य विघ्नं प्रयच्छन्ति योगिन्यः काशिवासिनः ।।५३ ।।
काशी में गुप्त ६४ चौसठ योगिनियां तांत्रिक परंपरा में शक्ति की विभिन्न रूपों की देवी मानी जाती हैं। ये विशेष रूप से भारत के काशी (बनारस / वाराणसी ) हीरापुर, रानीपुर- झरियाल, और खजुराहो जैसे मंदिरों में पूजी जाती हैं। योगिनियां देवी शक्ति के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और इनमें अलौकिक शक्तियां होती हैं, जैसे प्रकृति पर नियंत्रण, परिवर्तन,और रक्षा करती रहती है। ६४ चौसठ योगिनीयो की तीर्थ-यात्रा प्रतिमास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को करनी चाहिए उस दिन व्रत , उपवास,जागरण करने से अलभ्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। जो भी प्राणी नियम से काशी में प्रतिदिन त्रिकाल इनका नाम स्मरण करते है. झबेर के बराबर गुग्गुल की गोली घी के साथ, प्रणव के सहित, इनका नाम लेकर अग्नि में हवन करते हैं,तो शाकिनी, डाकिनी, कूष्माण्डा, राक्षस, प्रेतादि बाधा, रोग, बालग्रहादि सब उपद्रव नष्ट कर गर्भरक्षा करती है। रण, विवाद, राजकुल, सर्वत्र जय की देने वाली है। काशी में आश्विन नवरात्र में अनेक वस्तुओं से पूजा हवनादि करने से उनका मनोरथ सिद्ध होता है। चैत्रकृष्ण प्रतिपदा को वार्षिक यात्रा अवश्य करनी चाहिए । ६४ चौसष्ट्टी की ही पूजा से सम्पूर्ण फल मिलता हैं।
१- ॐगजाननायै नमः
२- ॐसिंहमुख्यै नमः
३- ॐगृध्रास्यायै नमः
४- ॐकाकतुण्डिकायै नमः
५- ॐउष्ट्रग्रीवायै नमः
६- ॐहयग्रीवायै नमः
७- ॐवाराह्यै नमः
८- ॐशरभाननायै नमः
९- ॐउलुकिकायै नमः
१०- ॐशिवाशवायै नमः
११- ॐमयूर्यै नमः
१२- ॐविकटाननायै नमः
१३- ॐअष्टवक्रायै नमः
१४- ॐकोटराक्ष्यै नमः
१५- ॐकुंजायै नमः
१६- ॐविकटलोचनायै नमः
१७- ॐशुष्कोदर्यै नमः
१८- ॐलोलज्जिह्वाय नमः
१९- ॐश्वदंष्ट्रायै नमः
२०- ॐवानराननायै नमः
२१- ॐऋक्षाक्ष्यै नमः
२२- ॐकेकराक्ष्यै नमः
२३- ॐबृहत्तुण्डायै नमः
२४- ॐसुराप्रियायै नमः
२५- ॐकपाल हस्तायै नमः
२६- ॐरक्ताक्ष्यै नमः
२७- ॐशुकिश्येन्यै नमः
२८- ॐकपोतिकायै नमः
२९- ॐपाशहस्तायै नमः
३०- ॐदण्डहस्तायै नमः
३१- ॐप्रचण्डायै नमः
३२- ॐचण्डविक्रमायै नमः
३३- ॐशिशुघ्न्यै नमः
३४- ॐपापहन्त्र्यै नमः
३५- ॐकाल्यै नमः
३६- ॐरुधिरपाण्यै नमः
३७- ॐवसाधर्यायै नमः
३८- ॐगर्भभक्षायै नमः
३९- ॐशवहस्तायै नमः
४०- ॐअन्त्रमालिन्यै नमः
४१- ॐस्थूलकेश्यै नमः
४२- ॐबृहत्कुक्ष्यै नमः
४३- ॐसर्पास्यायै नमः
४४- ॐप्रेतवाहनायै नमः
४५- ॐदन्तशूकरायै नमः
४६- ॐक्रौंच्यै नमः
४७- ॐमृगशीर्षायै नमः
४८- ॐवृषाननायै नमः
४९- ॐव्यात्तास्यायै नमः
५०- ॐधूमनिश्वासायै नमः
५१- ॐव्योमैकचरणायै नमः
५२- ॐऊर्ध्वदृक्यै नमः
५३- ॐतापिन्यै नमः
५४- ॐशोषणदृष्ट्यै नमः
५५- ॐकोटयै नमः
५६- ॐस्थूलनासिकायै नमः
५७- ॐविद्युत्प्रभायै नमः
५८- ॐवलाकास्यायै नमः
५९- ॐमार्जार्यै नमः
६०- ॐकठपूतनायै नमः
६१- ॐअट्टातहासायै नमः
६२- ॐकामाक्षायै नमः
६३- ॐमृगाक्ष्यै नमः
६४- ॐसृगलोचनायै नमः
काशी में ६४ चौसठ योगिनियों की पूजा और महत्व तांत्रिक साधना – योगिनियों की पूजा तांत्रिक अनुष्ठानों में की जाती है।
- शक्ति साधना – हर योगिनी देवी शक्ति का एक रूप मानी जाती हैं।
- रक्षा और उपचार – कुछ योगिनियां रोग, विपत्तियों और शत्रुओं से बचाने वाली होती हैं।
🔱 प्रमाण 🔱
ब्रह्मवैवर्त पुराण काशी खण्ड, ब्रह्मपुराण,त्रिस्थलीसेतु,)
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इन ६४ चौसठ योगिनी तीर्थ यात्रा और दर्शन पूजन से सर्व कष्ट सर्वदुःख, सर्व रोग, सर्व बाधाओं का सर्वनाश हो जाता है। तनिक भी सन्देह नहीं है। समस्त नेगेटिव उर्जा समाप्त हो जाती है।सभी ६४ चौसठ योगिनी धार्मिक दर्शनीय स्थल है।सभी दर्शनीय व जागृत मूर्तियां है। इनका योगिनी के नाम सहित भैरव के भी नाम प्रभावशाली है। ये काशी के रक्षक है।
व्यासासन पर सम्पूर्ण देवताओं के सर्व नामंत्रोच्चारण सहित से अक्षत दरिद्र नारायण छोड़कर यथाशक्ति तीर्थ के ब्राह्मणाचार्य को दक्षिणा देकर यात्रा समाप्त कर अपने गृह को जाना चाहिए। पृथ्वी पर सभी तीर्थों का फल एक गुणा और काशी में अनन्त गुणा तीर्थों की यात्रा व पूजन फल का महात्म्य है। जो भी मानव विधिवत् नियम से गुप्त महा मंत्रोच्चारण सहित ध्यान पूर्वक के योगिनी व भैरव तीर्थ-यात्रा से देवस्थल व दर्शन पूजन ध्यान करने से स्नान, तर्पण, नाम सुमिरण करने मात्र से सर्व पित्रो की तृप्ति होती है और सर्वदुःखों का निवारण सहज ही हो जाता है। काशी में पदयात्रा से मातृऋण, पितृऋण, ऋषिऋण,देवऋणों से मुक्त हो जाता है। सर्वग्रह बाधा, सर्व नाग दोष, व अनेक दोषो का निवारण हो जाता है, असाध्य रोगी लोग सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं।निःसन्तान को सन्तान की प्राप्ति हो जाती है,समस्त नेगेटिव शक्तियां नष्ट हो जाती है। उस मनुष्य को तीर्थ पुरोहित द्वारा तीर्थ यात्रा से स्वतः ही अश्वमेधयज्ञ व मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।काशी में सभी जागृत देवी,देवता,ईश्वर,परमेश्वर शिव लिंग है।
यह दुर्लभ तीर्थ यात्रा ६४ चौसठ योगिनी स्थानों का दर्शनीय स्थल है।
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