पित्त की गोलियां खाने के नुकसान और एसिडिटी की गोली के साइड इफेक्ट

पित्त की गोलियां खाने के भयानक नुकसान, एसिडिटी की गोली के साइड इफेक्ट.....

◾अगर आप रोजाना या बार-बार पित्त की गोलियां ले रहे हैं तो सावधान हो जाइए!

◾पित्त की गोलियों का लंबे समय तक सेवन किडनी पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।

◾खाद्य एवं औषधि संघ ने अब पित्त अम्ल दबाने वाली दवाओं पर "सावधानीपूर्ण चेतावनी" लिखना अनिवार्य कर दिया है।

◾इन गोलियों पर अब यह चेतावनी लिखी जाएगी कि दवाओं के लगातार इस्तेमाल से किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।



◾पित्त की गोलियों को अधिकतम 5-7 दिनों तक लेना ठीक है। हालांकि, अगर आप इन गोलियों को 6 सप्ताह से अधिक समय तक लेते हैं, तो इसका किडनी पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

◾किडनी के साथ-साथ इसका धीरे-धीरे मस्तिष्क और हृदय पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है।

◾पित्त की गोलियां बार-बार लेने से पेट में एसिड कम हो जाता है। परिणामस्वरूप, पेट और आंतों की प्रतिरक्षा प्रणाली धीरे-धीरे कम हो जाती है। और फिर, पेट में बार-बार संक्रमण होने लगता है।

◾इससे शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। परिणामस्वरूप, खून कम होने लगता है। इसे एनीमिया कहते हैं।

◾कैल्शियम की कमी हो जाती है, और हड्डियाँ भंगुर हो जाती हैं।

◾विटामिन बी-12 की कमी हो जाती है। इससे बार-बार मुंह में छाले और मुंह के छाल◾इससे शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। परिणामस्वरूप, खून कम होने लगता है। इसे एनीमिया कहते हैं।

◾कैल्शियम की कमी हो जाती है, और हड्डियाँ भंगुर हो जाती हैं।

◾विटामिन बी-12 की कमी हो जाती है। इससे बार-बार मुंह में छाले और मुंह के छाले हो जाते हैं।

◾कई लोग सुबह दांत साफ करने के बाद उल्टी करने के लिए अपनी उँगलियाँ गले में डालते हैं और पित्त बाहर थूक देते हैं। हालाँकि, यह आदत खतरनाक है। इससे अन्नप्रणाली की परत में सूजन आ जाती है। और लंबे समय तक पित्त बाहर थूकने से अन्नप्रणाली का कैंसर हो सकता है।


*◾पित्त से बचने के लिए इन 3 चीजों से बचें - ‘हरि, करी और वारी’*

◾‘हरि’ का मतलब है जल्दबाजी, अनियमितता, लगातार भागदौड़, अपर्याप्त आराम और हर चीज में जागते रहने से भरी दिनचर्या।

◾‘करी’ का मतलब है तला हुआ, मसालेदार खाना, होटलों में खाना, धूम्रपान, शराब पीना, बहुत ज़्यादा चाय-कॉफ़ी पीना, कोल्ड ड्रिंक पीना।

◾जबकि ‘वारी’ का मतलब है चिंता, चिन्ता, तनाव, असंतोष, अवसाद।

◾पित्त के बाद दवा लेने की बजाय हमें पित्त को बनने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए।



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