निम्न रक्तचाप ( Low Blood Pressure) लक्षण और उपाय.... जानिए।
निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure ) क्या है?.... लक्षण और उपाय, जानिए...।
लो बीपी यानी "निम्न रक्तचाप" (Low Blood Pressure) एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से कम हो जाता है। सामान्य बीपी रेंज होती है 120/80 mmHg, और जब यह 90/60 mmHg या उससे कम हो जाए, तो उसे लो बीपी कहा जाता है।
लो बीपी की स्थिति में शरीर के अंगों को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता, जिससे थकान, कमजोरी और चक्कर जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। आयुर्वेद में इसे "उदकवहा स्रोतस का दोष" कहा जाता है, जो वात दोष की असंतुलन स्थिति से जुड़ा होता है।
लो बीपी के मुख्य लक्षण...
अचानक चक्कर आना या बेहोशी
धुंधली दृष्टि
थकावट, सुस्ती या ऊर्जा की कमी
दिल की धड़कन का तेज़ या असामान्य होना
ठंडा व पसीनेदार शरीर
ध्यान की कमी या भ्रम की स्थिति
यदि ये लक्षण बार-बार अनुभव हों, तो लापरवाही न करें – यह शरीर का संकेत हो सकता है कि ऊर्जा व रक्त संचार में बाधा आ रही है।
आयुर्वेद में लो बीपी का दृष्टिकोण...
आयुर्वेद के अनुसार लो बीपी मुख्य रूप से वात दोष की अधिकता, पाचन शक्ति की कमजोरी और ओज क्षीणता से जुड़ा होता है। जब शरीर में संचार प्रणाली धीमी हो जाती है, तब रक्त प्रवाह कमजोर होता है, जिससे बीपी गिर जाता है।
लो बीपी को नियंत्रित करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय...
◼️ 1. नमक का पानी पिएं...
एक गिलास पानी में चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर दिन में एक बार पीने से बीपी में सुधार होता है।
◼️ उच्च बीपी के रोगी न लें।
◼️ 2. शहद और तुलसी का रस...
तुलसी की 5-7 पत्तियाँ पीसकर उसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लें। यह ओज को बढ़ाता है और चेतना को स्थिर करता है।
◼️ 3. नारियल पानी या बेल का शरबत...
यह शरीर को ठंडक देता है, ऊर्जा प्रदान करता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
◼️4. अश्वगंधा या शतावरी चूर्ण...
रोज रात को गर्म दूध के साथ 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण लें। यह वात को संतुलित करता है और शारीरिक शक्ति बढ़ाता है।
◼️ 5. अनार और चुकंदर का रस...
यह दोनों रस रक्तवर्धक होते हैं और हृदय की कार्यप्रणाली को मजबूत करते हैं।
◼️ 6. लहसुन का प्रयोग....
रात को सोने से पहले 1-2 लहसुन की कलियां चबाएं या दूध में उबालकर पिएं। यह रक्त संचार बढ़ाता है और बीपी स्थिर रखता है।
◼️7. हर्बल चाय (अदरक, दालचीनी, तुलसी)....
दिन में एक बार अदरक या तुलसी वाली चाय पीने से चेतना जाग्रत होती है और थकावट कम होती है।
आहार में बदलाव जरूरी...
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से आहार को "सात्विक", ऊर्जा देने वाला और पाचन-सहायक होना चाहिए।
भोजन में शामिल करें....
खजूर, किशमिश, अनार, सेब
मूंग की दाल, बाजरा, गेहूं
देशी घी, गाय का दूध, छाछ
अदरक, जीरा, अजवाइन, दालचीनी
परहेज़ करें.....
ज़्यादा ठंडी और बासी चीज़ें
खाली पेट रहना
अत्यधिक उपवास या फास्टिंग
शराब और धूम्रपान
योग और प्राणायाम से भी पाएं लाभ....
अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम और योग निद्रा तनाव को कम करते हैं, और लो बीपी में मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं।
शवासन और सुखासन जैसी मुद्राएँ शरीर को आराम देती हैं।
नोट....
अगर लो बीपी बार-बार हो रहा है, कमजोरी अधिक महसूस हो रही है, तो डॉक्टर या वैद्य से सलाह अवश्य लें।
निष्कर्ष.....
लो बीपी को नजरअंदाज न करें। यह एक संकेत है कि शरीर को ऊर्जा और संतुलन की ज़रूरत है। आयुर्वेदिक जीवनशैली, सही आहार और घर में अपनाए जा सकने वाले उपायों से इस स्थिति को काफ़ी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
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