राधाष्टमी 2025: कैसे करें पूजन.. आइये जानते हैं..।
Radha Ashtami 2025 :करुणामयी श्रीराधा
राधा अष्टमी पर कैसे करें पूजा, जानें सही विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व.
श्री राधा किशोरी जू के प्राकट्य महोत्सव से पूर्व उनके स्वभाव का थोड़ा विचार कर लेते हैं। श्रीराधा रानी जी कृपा से परिपूर्ण हैं। करुणा तो किसी के भी हृदय में जागृत हो सकती है, लेकिन कृपा सब के बस की बात नहीं, वह तो हमारी किशोरी जू ही जानती हैं।
करुणा और कृपा के मध्य एक सूक्ष्म भेद होता है। किसी गिरे हुए को देख कर मन में दया का भाव उत्पन्न होना, उसकी ऐसी दुर्दशा देख कर मन का व्यथित हो जाना, यह करुणा है। किसी गिरे हुए को हाथ पकड़ कर उठाना, उसकी यथासंभव सहायता करना और उसे अपने गंतव्य तक पहुँचा देना, यह कृपा है।
भव सागर में पड़े इस जीव की दशा को देखकर कृपा सिंधु श्रीराधा रानी से रहा नहीं जाता और वह पात्र-कुपात्र के भेद को जाने बिना ही सब को पार लगा देती हैं। विषय-वासना में लिपटे जीव को श्रीकृष्ण तक पहुँचाने वाली सीढ़ी का नाम ही श्रीराधा है ।
राधा अष्टमी पर कैसे करें पूजा, जानें सही विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाने वाला श्री राधा अष्टमी का पर्व इस साल कब मनाया जाएगा? राधा अष्टमी के दिन कब और कैसे की जाती है राधा रानी की पूजा? राधा अष्टमी की पूजा से जुड़े सभी धार्मिक पहलू को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। यह दिन श्रीकृष्ण की अनंत प्रिय और भक्ति की मूर्ति श्री राधारानी का जन्मोत्सव माना जाता है। श्रीमद्भागवत और पुराणों में वर्णन है कि बरसाना धाम में माता कीर्ति की गोद में राधारानी का अवतरण हुआ।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधारानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। राधा अष्टमी पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही व्रत रखा जाता है। इस दिन राधा रानी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। राधा रानी की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
वैष्णव परंपरा से जुड़े लोगों को भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी का इंतजार पूरे साल रहता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण की प्रिय सखी राधा रानी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है. इस साल यह पावन पर्व जन्माष्टमी पर्व के ठीक 15 दिनों बाद यानि 31 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. जिस राधा अष्टमी के व्रत और पूजन करने पर व्यक्ति को राधा और कृष्ण दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, आइए उसकी संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं.
राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसर इस साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 30 अगस्त 2025 की रात 10:46 बजे से प्रारंभ होकर 01 सितंबर 2025 को पूर्वाह्न 12:57 बजे तक रहेगी. इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार साल राधा अष्टमी का पावन पर्व 31 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन राधा रानी की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त प्रात:काल 11:05 से लेकर दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा. इस तरह राधा रानी के भक्तों को उनकी पूजा के लिए तकरीबन ढाई घंटे का समय मिलेगा.
राधा अष्टमी व्रत की विधि
पुराणों में जिस राधा अष्टमी व्रत की महिमा का बखान किया गया है, उसके पुण्यफल को पाने के लिए इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद सबसे पहले राधा जी का ध्यान करें. इसके बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करें. इसके पश्चात् मध्यान्ह काल के शुभ मुहूर्त ईशान कोण में बैठकर राधा जी की विधिपूर्वक पूजा करें. एक चौकी पीले रंग का आसन बिछाकर राधा जी की प्रतिमा अथवा उनका चित्र रखे.
इसके सामने मिट्टी अथवा तांबे का कलश स्थापित करके उसकी पूजा करें. इसके बाद राधा रानी की षोडशोपचार विधि से पूजा करें. यदि ऐसा न संभव हो तो आपके पास जो कुछ भी फल-फूल, धूूप-दीप, भोग आदि उपलब्ध हो उसे भक्तिभाव से राधा जी को अर्पित करके उनके स्तोत्र और चालीसा का पाठ करें. राधा रानी के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना बिल्कुल भी न भूलें. राधा अष्टमी के दिन किसी सुहागिन महिला को अन्न, धन और वस्त्र आदि देने या फिर भोजन कराने का अत्यंत ही पुण्यफल माना गया है.
राधा अष्टमी के पावन अवसर पर श्री राधे रानी के 28 नाम का प्रकार से जाप कर सकते हैं....
(1)राधा
(2)रासेश्वरी
(3)रम्या
(4)कृष्णमत्राधिदेवता
(5)सर्वाद्या
(6)सर्ववन्द्या
(7)वृन्दावनविहारिणी
(8)वृन्दाराधा
(9)रमा
(10)अशेषगोपीमण्डलपूजता
(11)सत्या
(12)सत्यपरा
(13)सत्यभामा
(14)श्रीकृष्णवल्लभा
(15)वृषभानुसुता
(16)गोपी
(17मूल प्रकृति
(18)ईश्वरी
(19)गान्धर्वा
(20)राधिका
(21)रम्या
(22)रुक्मिणी
(23परमेश्वरी
(24)परात्परतरा
(25)पूर्णा
(26)पूर्णचन्द्रविमानना
(27)भुक्ति-मुक्तिप्रदा
(28)भवव्याधि-विनाशिनी
साथ ही पूजन के लिए स्तुति इस तरह से की जाती है....
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
प्राणेश्वरी कुंजेश्वरी रासेश्वरी परमेश्वरी ब्रजेश्वरी सुरेश्वरी
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
आनन्दिनी भानुनन्दिनी सुनन्दिनी संगिनी मृदुले कोमल अंगिनी
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
हितकारिणी सुखकारिणी सुखसारिणी विस्तारिणी जगत पलनहारिणी
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
भामिनी सुवासनी कृपलानी दयालिनी कृपालिनी ममपालिनी
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
हर्षिणी रसवर्षिणी तरंगिणी कृष्णसंगिनी श्यामली नवलरंगिणी
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधिके नमःस्तुते
श्री राधेकृष्ण:शरणम् मम !
राधा अष्टमी व्रत की पूजा का पुण्यफल
हिंदू मान्यता के अनुसार राधा अष्टमी के दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ राधा रानी और श्री कृष्ण की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि राधा अष्टमी व्रत के शुभ फल से व्यक्ति का दांपत्य जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है. वहीं कुंआरी कन्याओं को इस व्रत के पुण्यफल से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यह ब्लाॅग इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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