कोई रिश्ता यक़ीन जोड़ा जाये ।
गुल किसी शाख़ से न तोड़ा जाये।
उसको फु़रसत नही है अपने ग़म से,
ध्यान उसका कहीं और भी मोड़ा जाये ।
ज़िंदगी रेस की तरह लगती है ,
साथ किसको लें किसको छोड़ा जाये ।
ख़ाक हो दिल लगाव छूटे अगर ,
सबसे पहले गु़रूर छोड़ा जाये ।
एक सैलाब दफ़्न दिल में तेरे,
लफ्ज़ की शक्ल में निचोड़ा जाये।
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