फिर मुझे वो आजमाना चाहते हैं ।
बात करने का बहाना चाहते हैं ।
चंद लम्हों में कहाँ ये खत्म होगी,
बात दिल की वो सुनाना चाहते हैं ।
हम इशारे भी समझ लेते हैं उनके,
और वो होठों से जताना चाहते हैं ।
ख्वाहिशें भी आग का दरिया बनी हैं,
तैर करके पार जाना चाहते हैं ।
खुश हुई ये शाम भी मिलकर किसी से,
शब सितारे गुनगुनाना चाहते हैं ।
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