Saturday, 15 June 2024

बात करने का बहाना चाहते हैं...

 फिर मुझे वो आजमाना चाहते हैं ।
बात करने का बहाना चाहते हैं ।

चंद लम्हों में कहाँ ये खत्म होगी,
बात दिल की वो सुनाना चाहते हैं ।

हम इशारे भी समझ लेते हैं उनके,
और वो होठों से जताना  चाहते हैं ।

ख्वाहिशें भी आग का दरिया बनी हैं, 
तैर  करके   पार  जाना  चाहते  हैं ।

खुश हुई ये शाम भी मिलकर किसी से,
शब  सितारे  गुनगुनाना   चाहते हैं ।
निरुपमा मिश्रा 'नीरू' 

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