ख्वाब में उसका नजारा हो गया
डूबते को भी सहारा हो गया
कुछ रही होंगी जरूरी ख्वाहिशें
वो न था दुश्मन हमारा हो गया
राह में मिलता न जाने कौन ये
आम भी तो खास प्यारा हो गया
आप भी देखो कहाँ कैसे रहे
दिल कहीं पर बेसहारा हो गया
छाँव मीठी लोरियाँ माँ की जहाँ
दूर हमसे घर हमारा हो गया
----- निरुपमा मिश्रा "नीरु "
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