चिराग़

साथ दिल के चिराग़ जलते हैं
ये हुनर भी कमाल रखते हैं  

रात काली रही किसे है ग़म
रोशनी का वजूद रखते हैं

दे गया ख्वाब फिर नया कोई
प्यार के रंग खास सजते हैं

हो सके तो वहीं नज़र रखना
दिल कहाँ किस तरह मचलते हैं 

राज़ की बात कह गईं आँखें
आप फिर भी सवाल करते हैं
---- निरुपमा मिश्रा

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