स्वयं

जिसने जीवन को
जाना
स्वयं को
पहचाना
वो
सागर की तरह
गंभीर
होता है,
उसमें
समायी
होती हैं
प्यार-अपनेपन
की
नदियां,
बेवजह
की हलचल
नही होती,
भावनाओं के तूफान
खामोश
रहते हैं
हृदय में
------ निरुपमा मिश्रा " नीरू"

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