विद्यादायिनी

नही भ्रमवश तितिक्षायें, उपासना नित ज्ञान
विस्मृत लोभ - लिप्सायें, आराधन का ध्यान
आराधन का ध्यान , निशिदिन विद्यादायिनी
उल्लासित मन सदा, प्रखर बुद्धि सुखदायिनी
रत क्यों छल - दंभ में , भावना क्यों तृषित रही
प्रेम - उदारता से, कब- क्या संभव है नही
----- निरुपमा मिश्रा "नीरु"

Comments

Popular posts from this blog

महिलाओं में होने वाली खतरनाक बीमारियॉं एवं बचाव ( International Womens Day Special Article )

खाली पेट न खायें ये चीजें

लीवर नहीं रहेगा फैटी और बॉडी भी होगी डिटॉक्स..... जानिए कैसे ?