पारिजात वृक्ष - कल्प वृक्ष

पारिजात वृक्ष 
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सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था, पारिजात नाम है इसका,इसे ही कल्पवृक्ष भी कहा गया है...। 

पूरी रात सुगंध बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है! अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता, अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें, अद्भूत ताजगी मिलेगी....। 

यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है....।

इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता 

 एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था! 

यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है, पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है, जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है, यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है! 

यह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है, साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है,इस उपयोगी वृक्ष को अवश्य ही घर के आसपास लगाना चाहिए!!!
पारिजात एक पुष्प देने वाला वृक्ष है, इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है...... पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब गिर जाते है ...।
पारिजात अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।
साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता...... हारसिंगार के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ...... पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें.....तेज आग पर मत पकाए....चाय की तरह पकाए,चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले... पहली बार मे ही 10% फायदा होगा.... प्रतिदिन 2 बार पिए ... इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए, दही लस्सी और आचार न खाएं.

अब यह वृक्ष धरती पर है इस पेड़ के बीज बनते हैं,
और इसको कलम विधि के द्वारा उत्पादित किया जा सकता है।

रात को इसके फूल खिलते हैं, और गंध इतनी दिव्य है कि इस लोक की लगती ही नहीं है,
ईश्वर के आशीर्वाद अद्भुत और विचित्र है...। 

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