चेहरे

नकाबों में छुपे हैं चेहरे कितने
झूठे थे ख्वाब जो, वो सुनहरे कितने
निगाहें भी निगेहबां भी हमारे वो
दिखाये अक्स जो, वो दोहरे कितने

----  नीरु ( निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी)

Comments

Popular posts from this blog

महिलाओं में होने वाली खतरनाक बीमारियॉं एवं बचाव ( International Womens Day Special Article )

सुखद भविष्य का अनुष्ठान... पितृपक्ष ।

Gen-Z क्या है ? इसे सोशल मीडिया की लत क्यों है? आइये जानते हैं...।