Thursday, 27 February 2025

समुद्री नमक ( Sea Salt) का प्रयोग स्वास्थ्यवर्धक

सैंधव / सेंधा नमक - Sea Salt ( लाहौरी नमक )
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 दैनिक भोजन में सामान्य नमक के स्थान पर  समुद्री नमक का उपयोग करिये -:

1-: समुद्री नमक में सामान्य नमक की तुलना में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा कम होती है। इससे भंगुर हड्डियों और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। यदि शरीर को बहुत अधिक इलेक्ट्रोलाइट्स प्राप्त हो जाएं तो हड्डियों में दर्द की समस्या हो सकती है इसलिए आपको अपने खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। 




 2 -:  उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से समुद्री नमक का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे रक्तचाप को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है। नमक रक्तचाप की समस्या को बढ़ाता है लेकिन नमक को पूरी तरह से खत्म करना असंभव है इसलिए नियमित नमक की बजाय आहार में सेंधा नमक का उपयोग करना हमेशा बेहतर होता है।

 3 -: पिछले कुछ वर्षों में हृदय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। यदि हृदय की समस्या अधिक गंभीर हो जाए तो अचानक दिल का दौरा पड़ने और मृत्यु होने की संभावना रहती है। लेकिन अगर ऐसे लोग अपने खाने में सेंधा नमक खाते हैं तो इससे उनकी हृदय रोग की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।

 साभार सोशल मीडिया / गूगल 

APK App बनाकर साइबर ठगी - सावधान एंड्राइड यूजर्स

एपीके ऐप बनवा कर साइबर ठगी, एंड्रॉयड यूजर ध्यान रखें.......



 लखनऊ पश्चिम में तैनात एडीसीपी की पत्नी से ठगी करने वाले 10वीं फेल साइबर ठगों की गिरफ्तारी के साथ कई खुलासे हुए। आरोपितों ने प्रोग्रामर से एपीके फाइल (ऐप) तैयार कराई थी। जिसका मनचाहा नाम रखा जा सकता है। लोग आसानी से विश्वास कर लें। इसलिए ठगों ने पीएम आवास योजना और पीएम कुसुम योजना के नाम से ऐप बनवाई थी। प्रोग्रामर एक एपीके फाइल तैयार करने के बदले एक हजार रुपये लेता है। जिसमें एक से पांच एपीके फाइल सेण्ड की जाती है।





क्लिक करते ही डाउनलोड हो जाता है ऐप -: 

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 झारखण्ड का जामताड़ा साइबर ठगों का मेन हब है। धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए एक तकनीक एपीके फाइल (ऐप) भी है। साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्र ने बताया कि एपीके फाइल बनाने के लिए कोडिंग लैंग्वेज में विशेषज्ञ होना जरूरी है। साइबर ठगी में शामिल ज्यादातर अपराधी कम पढ़े लिखे होते हैं। उन्हें कोडिंग नहीं आती। इसलिए प्रोग्रामर की मदद से ऐप तैयार कराई जाती है। राहुल बताते हैं कि व्हाट्सऐप के जरिए यह लिंक शेयर किए जाते हैं। चिह्नित व्यक्ति जैसे ही एपीके फाइल को डाउनलोड करता है। उसकी सारी डिटेल ठगों तक चली जाती है। प्रोग्रामर ऐप तैयार करने के साथ ही ठगों को बैंकएण्ड यूजर आईडी पासवर्ड भी देते हैं। जिसका इस्तेमाल कर ठग दूसरे के मोबाइल में लोड बैंकिंग एप या यूपीआई की मदद से रुपये ट्रांसफर करते हैं। साइबर विशेषज्ञ राहुल मिश्र ने बताया कि अधिकतर लोग किसी भी लिंक से ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। गूगल प्लेस्टोर से ही करना चाहिए। डाउनलोड करते वक्त कुछ अनुमति भी मांगी जाती है। जिसमें लोकेशन, गैलरी, कॉल की परमिशन ठग मांगते हैं। इसे देने से बचना चाहिए। इन परमिशन को ओके करते ही मोबाइल की सारी डिटेल एप डेवलपर या सर्वर पर आसानी से एक्सेस हो जाती है।


एंड्रॉयड यूजर ध्यान रखें -:

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एंड्रायड मोबाइल फोन यूजर ठगों के सबसे अधिक निशाने पर रहते हैं। एपीके फाइल भी एंड्रायड फोन में ही डाउनलोड हो सकती है। इसका फायदा ठग उठाते हैं।


इन नामों से बना रखे ऐप

● पीएम आवास योजना


● पीएम कुसुम योजना


● सीएम किसान ऋण माफी योजना


● मैरिज इंवटेशन एपीके फाइल


ठगी से बचने के तरीके -:

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● अंजान नम्बर से आने वाले लिंक पर क्लिक न करें ।


● व्हाटसएप के आने वाली एपीके फाइल को डाउनलोड करने से बचें ।


● बैंकिंग एप में टू-फैक्टर वैरिफिकेशन लगाएं  ।


● गलती से एपीके फाइल डाउनलोड कर ली है तो उसे तुरंत अनइंस्टाल करें ।


● 1930 या cybercrime.gov.in ।

साभार गूगल 

Wednesday, 26 February 2025

आस्था - महा शिवरात्रि पर्व ( भगवान महादेव से जुड़े रोचक तथ्य )

भगवान शिव, शंकर, महादेव, भोलेनाथ से जुड़े  रोचक तथ्य---

1. भगवान शिव के कोई माता-पिता नही है उन्हें अनादि माना गया है  अर्थात्  जो हमेशा से था जिसके जन्म की कोई तिथि नही ।

2. कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते है ।

3. किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है ।

4. हम शिवरात्रि इसलिए मनाते है क्योंकि  इस दिन शंकर-पार्वती का विवाह  हुआ था ।




5. शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी  जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था ।

6. भगवान शिव और माता पार्वती का 1 ही पुत्र था जिसका नाम था कार्तिकेय । गणेश भगवान तो मां पार्वती ने अपने उबटन (शरीर पर लगे लेप) से बनाए थे ।

7. भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था क्योकि गणेश जी ने भगवान शिव को मॉं पार्वती से मिलने नही दिया था  क्योंकि गणेश जी की  माॉं पार्वती ने ही ऐसा करने के लिए कहा था ।

8. भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था ।

9. शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फूल नही चढ़ाया  जाता  क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था ।

10. शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता ।

11. शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता क्योकि शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। आपको बता दें कि शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था ।

12. भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था । भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था ।

13. चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है ।

14. जिस बाघ की खाल को भगवान शिव पहनते है उस बाघ को उन्होने  खुद अपने हाथों से मारा था ।

15. नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है ।वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था ।जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था ।

16. गंगा भगवान शिव के सिर से क्यों बहती है ? राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए  देवी गंगा को जब धरती पर लाने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा । तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी जटाओं में बाँध लें फिर अलग-अलग दिशाओं से धारे-धीरे उन्हें धरती पर उतारें ।

17. शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होने जहर पी लिया था । दरअसल, समुद्र  मंथन के समय 14 वस्तुए निकली थी । 13  वस्तुओं को असुरों और देवताओं ने आधी-आधी बाँट ली लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नही था। ये विष बहुत ही घातक था इसकी एक बूँद भी धरती पर बड़ी तबाही मचा सकती थी । तब भगवान शिव ने इस विष को पीया था । यही से उनका नाम पड़ा नीलकंठ।

18. भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है इसलिए कहते है कि तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की । 

19. भगवान शिव की पुत्री का नाम अशोक सुंदरी है । पद्म पुराण में उनका ज़िक्र मिलता है माना जाता है कि माता पार्वती ने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से अशोक सुंदरी की कामना की थी । अशोक सुंदरी के पति का नाम नहुष था। 

   साभार गूगल

महिलाओं के लिए बेस्ट बिज़नेस आईडिया

ना ऑफिस की टेंशन-ना फैक्ट्री जाने की...महिलाओं के लिए बेस्ट हैं ये बिजनेस आइडिया ।


आज के समय में महिलाएं न केवल घर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं बल्कि आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. कई ऐसे बिजनेस के ऑप्शन मौजूद हैं,जो महिलाओं की घर बैठे धांसू कमाई करवा सकते हैं. अगर आप भी घर बैठे कमाई का सपना देख रही हैं, तो कुछ बिजनेस आइडियाज आपके लिए बेस्ट साबित हो सकते हैं. तो चलिए जानेंगे कम लागत में अच्छी कमाई वाले बिजनेस आइडिया कौन से हैं ।
 


होममेड फूड -: 
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अगर आपको खाना बनाने का शौक है, तो घर बैठे आप आसानी से कमाई कर सकते हैं. आप घर बैठे टिफिन सर्विस या केक-बेकरी बिजनेस शुरू कर सकती हैं । इस बिजनेस में लागत कम और कमाई का ज्यादा मौका रहता है ।

बुटीक -: 
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अगर आपको सिलाई आदि करना आता है तो फिर आप आसानी से घर बैठे पैसे कमा सकती हैं । आप घर बैठे आसानी से विभिन्न तरीके के कपड़ों की सलाई करके, उनको ऑनलाइन और ऑफलाइन बेच सकती हैं । जी हां आप चाहें तो ऑनलाइन बुटीक स्टार्ट करें और सोशल मीडिया से प्रमोट करें ।

साभार -: ज़ीबीज़ डॉट कॉम 

नौकरी नही लेकिन घर चाहिए ( Home Loan)

नौकरी नहीं करते लेकिन Home Loan चाहिए?



 ये 5 चीजें चेक करेगा बैंक, दुरुस्त कर लें, आसानी से मिल जाएंगे पैसे ।


हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो लेकिन घर खरीदना या बनाना आसान नहीं होता । ज्यादातर लोग तो होम लोन (Home Loan) लेकर ही अपना घर बना पाते हैं अगर कोई नौकरीपेशा व्यक्ति होम लोन के लिए अप्लाई करता है तो बैंक उसकी सैलरी, बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेजों की जांच करता है  लेकिन अगर कोई सेल्फ-एंप्लॉयड (Self-Employed) व्यक्ति होम लोन लेना चाहता है, तो बैंक किन चीजों को ध्यान में रखता है?





1- उम्र बहुत मायने रखती है -: 
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बैंक किसी को भी होम लोन देने से पहले उसकी उम्र जरूर चेक करते हैं । अगर कोई सेल्फ-एंप्लॉयड व्यक्ति युवा है तो उसे अधिक लोन मिलने की संभावना रहती है  साथ ही उसे लंबी अवधि के लिए लोन भी मिल सकता है जिससे ईएमआई (EMI) कम हो सकती है । इससे लोन चुकाना भी आसान हो जाता है ।



2- दस्तावेजों की जांच होती है -: 
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होम लोन से पहले बैंक कई जरूरी दस्तावेजों की जांच करता है । इसमें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR), प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट और बैंक स्टेटमेंट शामिल हैं । इन दस्तावेजों से बैंक यह पता लगाता है कि आवेदक की आर्थिक स्थिति कैसी है और उसका बिजनेस कितना स्थिर है ।                   इससे बैंक को अपने लोन डूबने के रिस्क का अंदाजा लग जाता है ।

साभार -: ज़ीबीज़ डॉट कॉम 

Saturday, 22 February 2025

उत्तर प्रदेश में जन्म प्रमाणपत्र कैसे बनवायें ? जाने प्रक्रिया ( UP Birth Certificate )

UP Birth Certificate : भारत सरकार ने जन्म प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। यदि आपके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है या उसमें कोई गलती है, तो इसे सही कराने के लिए आपके पास 27 अप्रैल 2026 तक का समय है। इस तारीख के बाद किसी भी प्रकार का नया प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा और न ही कोई संशोधन संभव होगा।



बर्थ सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है? , UP Birth Certificate

बर्थ सर्टिफिकेट सिर्फ स्कूल एडमिशन के लिए ही नहीं, बल्कि पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी योजनाओं, वोटर आईडी, आधार कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों के लिए अनिवार्य है।

क्या हैं नए बदलाव? | UP Birth Certificate Update 
पहले जन्म के 15 साल बाद तक बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने की सीमा थी, जिसे अब हटा दिया गया है। अंतिम आवेदन की तारीख को 31 दिसंबर 2024 से बढ़ाकर 27 अप्रैल 2026 कर दिया गया है।

 

बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन प्रक्रिया

आप जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन (घर बैठे प्रक्रिया)

1. सरकारी वेबसाइट
आवेदन करने के लिए इन वेबसाइट पर जाएं 

👉 https://dc.crsorgi.gov.in/crs

👉https://dc.crsorgi.gov.in/crs) पर जाएं।

 

2. “बर्थ सर्टिफिकेट” ऑप्शन पर क्लिक करें।

3. रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज अपलोड करें।

4. आवेदन जमा करने के बाद मोबाइल पर SMS द्वारा पुष्टि प्राप्त करें।


5. आवेदन स्वीकृत होते ही जन्म प्रमाण पत्र डाउनलोड करें।

ऑफलाइन आवेदन (प्रत्यक्ष प्रक्रिया)
यदि आप ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते, तो अपने नजदीकी नगर निगम कार्यालय, तहसील या पंचायत कार्यालय में आवश्यक दस्तावेजों के साथ जाकर आवेदन कर सकते हैं।

अगर बर्थ सर्टिफिकेट में कोई गलती है तो क्या करें?

1- 27 अप्रैल 2026 से पहले संशोधन के लिए आवेदन करें।

2- स्थानीय नगर निगम या तहसील कार्यालय में जाकर सुधार प्रक्रिया पूरी करें।

यूपी में ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन प्रक्रिया

1. आधिकारिक वेबसाइट [https://e-nagarsewaup.gov.in](https://e-nagarsewaup.gov.in) पर जायें।

2. “बर्थ सर्टिफिकेट” विकल्प पर क्लिक करें।

3. नए उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकरण करें और आवश्यक जानकारी भरें।

4. फॉर्म जमा करने के बाद SMS के जरिए आईडी और पासवर्ड प्राप्त होगा।


5. लॉग इन करें और बर्थ सर्टिफिकेट फॉर्म भरें, आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।


6. आवेदन स्वीकृत होते ही जन्म प्रमाण पत्र डाउनलोड करें।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
1- माता-पिता का आधार कार्ड

2- निवास प्रमाण पत्र

3- जन्म तिथि प्रमाण (अस्पताल रिकॉर्ड या अन्य दस्तावेज)

4- माता-पिता का पेशा और पता

5- पासपोर्ट साइज फोटो

6- स्थायी मोबाइल नंबर

समय पर आवेदन करें, वरना हो सकती है परेशानी

27 अप्रैल 2026 की अंतिम तारीख के बाद जन्म प्रमाण पत्र में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसलिए जिनका जन्म प्रमाण पत्र अभी तक नहीं बना है या उसमें कोई गलती है, उन्हें जल्द से जल्द आवेदन करना चाहिए।

Friday, 21 February 2025

कैल्शियम की कमी - कारण, लक्षण, उपाय

कैल्शियम की कमी के लक्षण और घरेलू उपचार

 ▪️नाखूनों का सफेद होना। या उस पर ऐसे दाग उभर आते हैं.

 ▪️हाथों में झनझनाहट 

 ▪️हड्डी में भंगुरता।

 ▪️जोड़ों का दर्द  हाथ, पैर, जांघों की हड्डियों में दर्द।

 ▪️थकान, कम नींद।

 ▪️डिमेंशिया 

 ▪️शुष्क त्वचा, खुजली।

 ▪️दांतों में सड़न होना, दांतों में सड़न होना, उनकी जड़ों का ढीला हो जाना।

 ▪️मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द,

 ▪️निराशा.. 

 ▪️अनाम भय.

 ▪️हड्डियों का खराब होना, जोड़ों में दर्द होना



 कैल्शियम की कमी के घरेलू उपचार

 दूध- दूध कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है. इससे न केवल बच्चों को बल्कि बड़ों को भी पर्याप्त कैल्शियम मिल सकता है। दूध के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाला कैल्शियम अधिक फायदेमंद होता है।

 दही - दही प्रोटीन से भरपूर होता है. एक कटोरी दही में 400 मि.ग्रा. इसमें कैल्शियम होता है. दूध से तैयार अन्य उत्पाद जैसे. पनीर, चीज़ के सेवन से कैल्शियम प्राप्त होता है।

 मसाले-तुलसी - ओया के फूल, दालचीनी, पुदीना, लहसुन के साथ-साथ तुलसी जैसे मसाले न केवल भोजन को एक विशेष स्वाद और स्वाद देते हैं, बल्कि कैल्शियम भी प्रदान करते हैं।

 पत्तेदार सब्जियाँ - हरी पत्तेदार सब्जियाँ कैल्शियम से भरपूर होती हैं। पालक, शलजम, पत्तागोभी, मशरूम सलाद

 फलियां - फलियां शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। इससे शरीर को प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम भी मिलता है

 संतरा-नींबू - संतरा, नींबू जैसे फल शरीर को कैल्शियम और विटामिन डी और सी प्रदान करते हैं। विटामिन डी की खास बात यह है कि यह शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है।


 सोयाबीन - सोयाबीन पौष्टिक और कैल्शियम से भरपूर होता है। इसके अलावा यह फाइबर, प्रोटीन, आयरन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है।

 

 (कॉपी पेस्ट)

Thursday, 20 February 2025

गन्ने का रस

 गन्ने का रस पीने के फायदे
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 आपको हमेशा गन्ने का रस पीना चाहिए। गन्ने के जूस की दुकान पर लगी घंटियों की आवाज हमें जूस पीने के लिए खींच लाती है। सफर के दौरान आप अक्सर सड़क किनारे गन्ने के जूस का आनंद लेते हैं  लेकिन कुछ लोग गन्ने का रस नहीं पीते क्योंकि उन्हें मीठा पसंद नहीं होता। आज हम आपको गन्ने का रस पीने से शरीर को होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन फायदों को पढ़ने के बाद जो लोग गन्ने का रस नही पीते वे भी गन्ने के रस का सेवन करेंगे।




 कैंसर से बचाव-:
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 गन्ने के रस में पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा इसमें कैंसर से बचाव करने वाले जरूरी तत्व भी मौजूद होते हैं। इसमें किडनी स्टोन की समस्या को रोकने की भी क्षमता होती है। गन्ने में कैंसर रोधी गुण होते हैं। कैंसर के लक्षणों के विकास को रोकता है। 

 गुर्दे की पथरी से बचाव-:
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 गन्ने का रस पीने से किडनी में पथरी की समस्या दूर हो जाती है। गन्ने का रस पीने की सलाह कई डॉक्टर भी देते हैं। गन्ने के रस में अम्लीय क्षमता होती है। जो किडनी में पथरी बनने पर उसे बाहर निकालने में मदद करता है। पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। 

मूत्र संक्रमण होता है कम-:
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 अनियमित जीवनशैली और खान-पान में बदलाव के कारण कई महिलाओं को मूत्र पथ में संक्रमण हो जाता है। गन्ने के रस के मूत्रवर्धक गुण इस प्रकार के संक्रमण के खतरे को कम करते हैं। साथ ही सूजन भी कम हो जाती है।

खून की कमी को पूरा करता है-:
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 कई लोगों के शरीर में खून की कमी हो जाती है। कभी-कभी एनीमिया भी हो जाता है। इस स्थिति में लाल कोशिकाएं कम हो जाती हैं। शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखने में गन्ने का रस फायदेमंद होता है। इसके अलावा, यदि आप व्यायाम करते हैं, तो आपको अपनी हड्डियों को मजबूत करने और ऊर्जा देने के लिए गन्ने के रस का सेवन करना होगा। इतना ही नही यह संक्रमण को रोकने और दांतों को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है-:
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 शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण सर्दी, बुखार और खांसी जैसी बीमारियां बार-बार होती हैं। अगर आप नियमित रूप से गन्ने के रस का सेवन करते हैं तो यह शरीर के लिए अच्छा होगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में फायदेमंद होगा। बीमार होने की दर कम हो जायेगी । शरीर में गर्मी को कम करने के लिए गन्ने के रस का सेवन करना जरूरी है।

C/p

Thursday, 13 February 2025

शिक्षण कार्य - भयमुक्त वातावरण

भयमुक्त वातावरण का सृजन केवल बच्चों के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि यह शिक्षकों और पूरे शिक्षण समुदाय के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यदि शिक्षक स्वयं भययुक्त वातावरण में कार्य करेंगे तो उनकी कार्यक्षमता, रचनात्मकता और शिक्षण कौशल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


1. भयमुक्त वातावरण का बच्चों पर प्रभाव

बच्चे अधिक स्वतंत्र रूप से सोच सकते हैं और अपनी जिज्ञासा व्यक्त कर सकते हैं।

वे अपनी शंकाओं को खुलकर रख सकते हैं और गलतियाँ करने से नहीं डरते, जिससे उनका सीखने का अनुभव बेहतर होता है।

आत्मविश्वास बढ़ता है और वे शिक्षा को बोझ नहीं बल्कि एक रोचक प्रक्रिया के रूप में देखते हैं।




2. भययुक्त वातावरण का शिक्षकों पर प्रभाव

यदि शिक्षक किसी दबाव, डर या तनाव में कार्य करेंगे, तो उनकी सृजनात्मकता और शिक्षण कौशल प्रभावित होंगे।

डर के कारण वे नए शैक्षिक प्रयोग करने से हिचकिचाएंगे और सिर्फ पारंपरिक तरीकों से पढ़ाने तक सीमित रह सकते हैं।

यदि उन्हें विद्यालय प्रशासन या अन्य उच्चाधिकारियों का भय रहेगा तो वे खुलकर अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाएंगे।

भययुक्त वातावरण शिक्षकों में मानसिक तनाव, कम आत्मविश्वास और कार्य के प्रति असंतोष को जन्म दे सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता घट सकती है।


3. भयमुक्त वातावरण शिक्षकों के लिए क्यों आवश्यक है?

शिक्षक स्वतंत्र रूप से अपने विचार साझा कर सकते हैं और नवाचार (Innovation) करने के लिए प्रेरित होते हैं।

वे विद्यार्थियों के साथ अधिक सकारात्मक और प्रभावी रूप से संवाद स्थापित कर पाते हैं।

कार्य के प्रति उनका उत्साह और समर्पण बढ़ता है, जिससे विद्यालय का शैक्षिक वातावरण भी समृद्ध होता है।

जब शिक्षक स्वयं भयमुक्त होंगे तो वे बच्चों के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।


निष्कर्ष:

भयमुक्त वातावरण सिर्फ बच्चों के लिए नहीं बल्कि शिक्षकों और संपूर्ण शिक्षण व्यवस्था के लिए भी अनिवार्य है। जब शिक्षक और विद्यार्थी दोनों स्वतंत्र, सुरक्षित और तनावमुक्त माहौल में कार्य करेंगे तो शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी।

Tuesday, 11 February 2025

शिक्षक कब "Fail" होता है ?

एक शिक्षक फेल कब होता है?
 
मैं टटोलता हूँ खुद अपनी ही राहें,
कहीं मेरे कदम ही तो नहीं हैं थमे?

शिक्षक को समाज में एक मार्गदर्शक, ज्ञानदाता और प्रेरक के रूप में देखा जाता है। लेकिन क्या एक शिक्षक भी फेल हो सकता है? आमतौर पर, जब हम "फेल" शब्द सुनते हैं, तो हमारा ध्यान विद्यार्थियों की असफलता की ओर जाता है, लेकिन शिक्षक भी कई परिस्थितियों में असफल हो सकता है। यह असफलता किसी परीक्षा में नंबरों से नहीं, बल्कि उसके शिक्षकीय दायित्वों में चूक से मापी जाती है। आइए समझते हैं कि एक शिक्षक किन परिस्थितियों में फेल माना जा सकता है।  



1. जब वह बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित नहीं कर पाता 
शिक्षण सिर्फ किताबों का ज्ञान देना नहीं है, बल्कि सीखने की इच्छा जगाना भी है। जब कोई शिक्षक बच्चों में जिज्ञासा और सीखने की ललक नहीं जगा पाता, तो वह अपने मूल कर्तव्य में असफल हो जाता है। अगर विद्यार्थी केवल परीक्षा पास करने के लिए पढ़ रहे हैं, न कि ज्ञान अर्जित करने के लिए, तो कहीं न कहीं शिक्षक की भूमिका कमजोर रही है।  


2. जब वह खुद सीखना बंद कर देता है  
एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो खुद भी हमेशा सीखता रहे। जब कोई शिक्षक नई जानकारियों, शिक्षण तकनीकों और समाज के बदलते स्वरूप से खुद को अपडेट नहीं करता, तो वह धीरे-धीरे अप्रासंगिक (irrelevant) हो जाता है। ऐसे में वह बच्चों को आधुनिक दौर के अनुसार तैयार करने में असफल हो सकता है।  


3. जब वह निष्पक्ष नहीं रहता 
एक शिक्षक का कर्तव्य है कि वह सभी विद्यार्थियों को समान अवसर दे। लेकिन अगर वह कुछ बच्चों को विशेष महत्व देता है और कुछ को नजरअंदाज करता है, तो यह उसके शिक्षकीय मूल्यों की हार है। पक्षपात किसी भी शिक्षक को फेल कर सकता है, क्योंकि इससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास कमजोर होता है।  


4. जब वह अनुशासन और करुणा में संतुलन नहीं बना पाता 
अत्यधिक कठोरता या अत्यधिक ढीलापन – दोनों ही शिक्षण को प्रभावित कर सकते हैं। यदि शिक्षक इतना कठोर हो कि बच्चे उससे डरें, तो वे खुलकर सीख नहीं पाएंगे। वहीं, अगर अनुशासनहीनता हो जाए, तो कक्षा में शिक्षा का माहौल नहीं बन पाएगा। शिक्षक को इस संतुलन को बनाए रखना जरूरी है।  


5. जब वह शिक्षा को नौकरी मात्र मान लेता है  
अगर कोई शिक्षक केवल वेतन के लिए पढ़ा रहा है और उसका शिक्षण में कोई समर्पण नहीं है, तो वह कभी भी अपने विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव नहीं डाल सकता। शिक्षा एक जिम्मेदारी है, जिसे पूरी लगन से निभाना जरूरी है।  


एक शिक्षक तभी फेल होता है जब वह अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा पाता। शिक्षक का असली मूल्यांकन सिर्फ परीक्षा परिणामों से नहीं होता, बल्कि इस बात से होता है कि उसके विद्यार्थी जीवन में कितने सक्षम और आत्मनिर्भर बनते हैं। अगर शिक्षक ईमानदारी, लगन और उत्साह से अपनी भूमिका निभाए, तो उसके लिए फेल होने का कोई सवाल ही नहीं उठता।



 ✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर

Thursday, 6 February 2025

हेल्दी लाइफ के आसान टिप्स

आजमाइये ये सुपर फूड्स - सेहत रहेगी बनी-ठनी...

1-: थकान ज्यादा रहे तो भुने चने खाइये।
पेट की गैस से छुटकारे के लिए थोड़ी - सी आजवाइन और चुटकी भर हींग पानी के साथ सेवन करें।

 2-: अच्छी नींद के लिए गुनगुने दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर पी जायें।

3-: फटी त्वचा को स्निग्ध करने के लिए नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगायें।




4-:  अच्छी याददाश्त के लिए अखरोट और बादाम को पानी में भिगोकर खायें।

 5-: सर्दी - खॉंसी से छुटकारे के लिए तुलसी दल की चाय पियें।

6-: ब्लड प्रेशर की समस्या में करेले का जूस पियें।
 पाचन क्रिया मजबूत करने के लिए सौंफ और मिश्री चबायें।

7-:  दिल की तेज़ धड़कन को कंट्रोल करने के लिए बेल का शरबत पियें और इलाईची खायें।
 थायराइड की समस्या में भुना चना और अलसी खायें।

 8-: डिहाइड्रेशन से छुटकारे के लिए नींबू और पुदीना का पानी पियें।

9-: शरीर की सूजन को कम करने के लिए तरबूज खायें।

 10-: कब्ज दूर करने के लिए गुनगुने पानी में नींबू डालकर पियें।

11-: जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए चुटकी भर हल्दी मिलाकर दूध पियें।

 12-: ब्लड शुगर की समस्या में मेथी दाने भिगोकर खायें।

 13-: दिल की बीमारी में अनार और अंगूर खाएं।
 पेट दर्द में अदरक का काढ़ा पियें।

14-: मांशपेशियों की समस्या के लिए केले और दूध का सेवन करें।

15 -:इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी , अदरक , काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बनाकर पियें।

 16-: रोज एक कटोरी मिक्स सलाद खाने से शरीर को भरपूर पोषण मिलता है।

निरुपमा मिश्रा 'नीरू' 

Wednesday, 5 February 2025

8th पे कमीशन - एक विश्लेषण

8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों पर JCM ने केंद्र सरकार को सौंपे सुझाव - एक विश्लेषण 

 सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत सरकार ने नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) जेसीएम से संदर्भ शर्तों (Terms of Reference) पर सुझाव मांगे थे। जेसीएम ने अपनी सिफारिशों को संकलित कर सरकार को सौंप दिया है और साथ ही स्टैंडिंग कमेटी की बैठक बुलाने की मांग की है ताकि इन शर्तों पर विस्तृत चर्चा हो सके।

जेसीएम ने अपनी रिपोर्ट में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों, प्रमोशन, पेंशन सुधार, चिकित्सा सुविधाओं और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को शामिल करने की मांग की है।


🔹 8वें वेतन आयोग के लिए जेसीएम की मुख्य मांगें
1️⃣ वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ी समीक्षा
📌 जिन श्रेणियों के लिए सिफारिश की गई है:
✔️ केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी
✔️ अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मचारी
✔️ रक्षा बलों और अर्धसैनिक बलों (CAPF) के कर्मचारी
✔️ ग्रामीण डाक सेवक (Gramin Dak Sevak) के कर्मचारी
✔️ केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी
✔️ भारतीय लेखा और लेखा परीक्षा विभाग (CAG) के अधिकारी एवं कर्मचारी
✔️ सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी और कर्मचारी
✔️ संसद के अधिनियम द्वारा गठित स्वायत्त निकायों (RBI को छोड़कर) के कर्मचारी
✔️ केंद्र सरकार के अधीन स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारी

2️⃣ न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर
📌 जेसीएम की सिफारिशें:
✔️ न्यूनतम वेतन को “सम्मानजनक जीवनयापन” के आधार पर निर्धारित किया जाए।
✔️ डॉ. अकरोयड फॉर्मूले को संशोधित किया जाए ताकि वर्तमान जीवनशैली की जरूरतों को ध्यान में रखा जा सके।
✔️ परिवार इकाई को 3.6 माना जाए, जैसा कि 2019 में श्रम मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की थी।
✔️ फिटमेंट फैक्टर को 2.85 से 3.0 के बीच रखा जाए, जिससे सैलरी में 30-40% की बढ़ोतरी हो।

3️⃣ MACP स्कीम में संशोधन
📌 जेसीएम की मांगें:
✔️ MACP में न्यूनतम 5 प्रमोशन की गारंटी दी जाए।
✔️ लेवल-1 को लेवल-2, लेवल-3 को लेवल-4 और लेवल-5 को लेवल-6 के साथ मर्ज किया जाए।
✔️ प्रमोशनल पदानुक्रम (Promotional Hierarchy) को स्पष्ट किया जाए।

4️⃣ महंगाई भत्ता (DA) और अंतरिम राहत (Interim Relief)
📌 जेसीएम की सिफारिशें:
✔️ महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन में मर्ज किया जाए।
✔️ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए अंतरिम राहत तुरंत लागू की जाए।
✔️ DA/DR की गणना के मौजूदा फॉर्मूले को संशोधित किया जाए।

5️⃣ पेंशन सुधार और OPS की बहाली
📌 जेसीएम की मांगें:
✔️ CCS (Pension) Rules, 1972 (अब 2021) को बहाल किया जाए।
✔️ 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ दिया जाए।
✔️ 12 साल बाद पेंशन का परिवर्तित हिस्सा पुनः बहाल किया जाए।
✔️ हर 5 साल में पेंशन में वृद्ध‍ि की संसदीय समिति की सिफारिशें लागू की जाएं।
✔️ भूतपूर्व और भावी पेंशनभोगियों के बीच समानता सुनिश्चित की जाए।

6️⃣ CGHS में सुधार और कैशलेस चिकित्सा सुविधा
📌 जेसीएम की सिफारिशें:
✔️ सभी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कैशलेस मेडिकल सुविधा दी जाए।
✔️ FMA (Fixed Medical Allowance) को बढ़ाया जाए।
✔️ डाक विभाग के पेंशनभोगियों को भी CGHS योजना में शामिल किया जाए।

7️⃣ बाल शिक्षा भत्ता (CEA) और अन्य सुविधाएं
📌 जेसीएम की सिफारिशें:
✔️ बाल शिक्षा भत्ता (CEA) और हॉस्टल सब्सिडी को स्नातकोत्तर स्तर (Post Graduation) तक बढ़ाया जाए।
✔️ ऐसे भत्तों को पुनः लागू किया जाए, जिन्हें समाप्त कर दिया गया है।

8️⃣ रेलवे, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के लिए विशेष प्रावधान
📌 जेसीएम की सिफारिशें:
✔️ रेलवे कर्मचारियों को जोखिम और कठिनाई भत्ता (Risk & Hardship Allowance) दिया जाए।
✔️ रक्षा नागरिक कर्मचारियों के लिए स्पेशल रिस्क अलाउंस, बीमा कवर और मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।

🔹 8वें वेतन आयोग से संभावित वेतन और पेंशन वृद्धि
📌 संभावित वेतन वृद्धि (फिटमेंट फैक्टर 2.85 के आधार पर):
💰 यदि किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹40,000 है, तो:
✅ नई बेसिक सैलरी: ₹40,000 × 2.85 = ₹1,14,000
✅ HRA (24%) → ₹27,360
✅ कुल सैलरी = ₹1,41,360 प्रति माह

📌 संभावित पेंशन वृद्धि:
🎖 यदि किसी पेंशनभोगी की मौजूदा पेंशन ₹20,000 है, तो:
✅ नई पेंशन: ₹20,000 × 2.85 = ₹57,000 प्रति माह

🔹 निष्कर्ष -:

📢 8वें वेतन आयोग के संदर्भ शर्तों में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बड़े बदलावों की मांग की गई है।

🔹 OPS की बहाली, न्यूनतम वेतन में वृद्धि, महंगाई भत्ता मर्ज करने और CGHS में सुधार जैसी मांगें मुख्य रूप से शामिल की गई हैं।

🔹 अगर ये सिफारिशें मानी जाती हैं, तो 2026 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा।

आपको क्या लगता है, सरकार को इन मांगों को लागू करना चाहिए या नहीं?  आप अपनी प्रतिक्रिया  दे सकते है।
साभार गूगल

Monday, 3 February 2025

ज्ञान की देवी - सरस्वती ( वसंत पंचमी)

सरस्वती को ही ज्ञान की देवी क्यों माना जाता है?

मां सरस्वती विद्या, संगीत और बुद्धि की देवी मानी गई हैं। देवीपुराण में सरस्वती को सावित्री, गावत्री, सती, लक्ष्मी और अंबिका नाम से संबोधित किया गया है। प्राचीन ग्रंथों में इन्हें वाग्देवी, वाणी, शारदा, भारती, वीणापाणि, विद्याधरी, सर्वमंगला आदि नामों से अलंकृत किया गया है। यह संपूर्ण संशयों का उच्छेद करने वाली तथा बोधस्वरूपिणी हैं। इनकी उपासना से सब प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये संगीतशास्त्र की भी अधिष्ठात्री देवी हैं। ताल, स्वर, लय, राग-रागिनी आदि का प्रादुर्भाव भी इन्हीं से हुआ है सात प्रकार के स्वरों द्वारा इनका स्मरण किया जाता है, इसलिए ये स्वरात्मिका कहलाती हैं। सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्रदान करने के कारण ही इनका नाम सरस्वती है। वीणावादिनी सरस्वती संगीतमय आह्लादित जीवन जीने की प्रेरणावस्था है। वीणावादन शरीर यंत्र को एकदम स्थैर्य प्रदान करता है। इसमें शरीर का अंग-अंग परस्पर गुंथकर समाधि अवस्था को प्राप्त हो जाता है । साम-संगीत के सारे विधि-विधान एकमात्र वीणा में सन्निहित हैं। मार्कण्डेयपुराण में कहा गया है कि नागराज अश्वतारा और उसके भाई काम्बाल ने सरस्वती से संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। वाक् (वाणी) सत्त्वगुणी सरस्वती के रूप में प्रस्फुटित हुआ। सरस्वती के सभी अंग श्वेताभ हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि सरस्वती सत्त्वगुणी प्रतिभा स्वरूपा हैं। इसी गुण की उपलब्धि जीवन का अभीष्ट है। कमल गतिशीलता का प्रतीक है। यह निरपेक्ष जीवन जीने की प्रेरणा देता है। हाथ में पुस्तक सभी कुछ जान लेने, सभी कुछ समझ लेने की सीख देती है।



देवी भागवत के अनुसार, सरस्वती को ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा पूजा जाता है । जो सरस्वती की आराधना करता है, उसमें उनके वाहन हंस के नीर-क्षीर-विवेक गुण अपने आप ही आ जाते हैं। माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है, तब संपूर्ण विधि-विधान से मां सरस्वती का पूजन करने का विधान है। लेखक, कवि, संगीतकार सभी सरस्वती की प्रथम वंदना करते हैं। उनका विश्वास है कि इससे उनके भीतर रचना की ऊर्जा शक्ति उत्पन्न होती है। इसके अलावा मां सरस्वती देवी की पूजा से रोग, शोक, चिंताएं और मन का संचित विकार भी दूर होता है। इस प्रकार वीणाधारिणी, वीणावादिनी मां सरस्वती की पूजा-आराधना में मानव कल्याण का समग्र जीवनदर्शन निहित है। सतत् अध्ययन ही सरस्वती की सच्ची आराधना है। याज्ञवल्क्य वाणी स्तोत्र, वसिष्ठ स्तोत्र आदि में सरस्वती की पूजा उपासना का विस्तृत वर्णन है।

एक समय ब्रह्माजी ने सरस्वती से कहा- 'तुम किसी योग्य पुरुष के मुख में कवित्वशक्ति होकर निवास करो। उनकी आज्ञानुसार सरस्वती योग्य पात्र की तलाश में निकल पड़ी। पीड़ा से तड़प रहे एक पक्षी को देखकर जब महर्षि वाल्मीकि ने द्रवीभूत होकर यह श्लोक कहा

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। 
यत् क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम् ॥

वाल्मीकि की असाधारण योग्यता और प्रतिभा का परिचय पाकर सरस्वती ने उन्हीं के मुख में सर्वप्रथम प्रवेश किया। सरस्वती के कृपापात्र होकर महर्षि वाल्मीकि ही 'आदिकवि ' के नाम से संसार में विख्यात हुए।

रामायण के एक प्रसंग के अनुसार जब कुंभकर्ण की तपस्या से संतुष्ट होकर ब्रह्मा उसे वरदान देने पहुंचे, तो उन्होंने सोचा कि यह दुष्ट कुछ भी न करे, केवल बैठकर भोजन ही करे, तो यह संसार उजड जाएगा। अतः उन्होंने सरस्वती को बुलाया और कहा कि इसकी बुद्धि को भ्रमित कर दो। सरस्वती ने कुंभकर्ण की बुद्धि विकृत कर दी। परिणाम यह हुआ कि वह छह माह की नींद मांग बैठा। इस प्रकार कुंभकर्ण में सरस्वती का प्रवेश उसकी मृत्यु का कारण बना। मार्कण्डेयपुराण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार एक बार महर्षि जैमिनी विंध्य के
जंगलों से गुजर रहे थे वहां उन्होंने देखा कि कुछ पक्षी वेदपाठ कर रहे हैं। उनका उच्चारण शुद्ध और व्याकरण सम्मत था। शायद वे शापग्रस्त पक्षी थे, परंतु देवी सरस्वती की कृपा से वे वेदपाठ कर रहे थे।

SIP बच्चे के जन्म से करें शुरुआत

"बच्चे के जन्म से शुरू करें निवेश और 21 साल में बनाएं करोड़पति", अपनाएं निवेश का यह फार्मूला
 


माता-पिता को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता हमेशा रहती है, और इसी वजह से वे निवेश करते हैं। यदि आप बच्चे के जन्म के साथ ही सही निवेश योजना बनाकर शुरुआत करते हैं, तो 21 साल की उम्र तक आपका बच्चा करोड़पति बन सकता है।


एसआईपी के जरिए करें निवेश की शुरुआत
बच्चे के नाम पर एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश करने से कुछ सालों बाद उसके नाम पर एक बड़ा फंड जमा किया जा सकता है। इससे भविष्य में बच्चे को किसी भी वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि म्यूचुअल फंड्स मार्केट से जुड़े होते हैं, फिर भी इनमें लंबे समय तक निवेश करने पर अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

21x10x12 फॉर्मूला अपनाएं
यदि आप अपने बच्चे को 21 साल की उम्र में करोड़पति बनाना चाहते हैं, तो 21x10x12 फॉर्मूले का पालन करें।

21: इसका मतलब है कि आपको लगातार 21 साल तक निवेश करना होगा।
10: हर महीने 10,000 रुपये का निवेश करें।
12: एसआईपी निवेश पर कम से कम 12% का सालाना रिटर्न मिलना चाहिए।
ऐसे बनेगा करोड़ों का फंड
अगर आप बच्चे के जन्म के साथ ही हर महीने 10,000 रुपये की एसआईपी शुरू करते हैं और इसे 21 साल तक जारी रखते हैं, तो इस दौरान आपकी कुल निवेश राशि 25,20,000 रुपये होगी। वहीं, 12% के अनुमानित रिटर्न के साथ आपको ब्याज के रूप में 88,66,742 रुपये मिलेंगे।


इस तरह, 21 साल की अवधि में आपके बच्चे के पास कुल 1,13,86,742 रुपये का फंड जमा हो जाएगा। यह फंड बच्चे की उच्च शिक्षा, बिजनेस, शादी या अन्य भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा।

Sunday, 2 February 2025

नींद की कमी , कारण एवं उपाय

यदि आप हर समय नींद आने जैसा महसूस करना, काम में मन न लगना, सारा दिन पीलापन महसूस होना, कमजोरी महसूस होना जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं तो ध्यान दीजिये…

 अधूरी नींद -:

   हमारे शरीर को कम से कम 7 से 8 घंटे की आरामदायक नींद की आवश्यकता होती है।  रात को सोते समय मोबाइल फोन और टैबलेट का उपयोग करने से आपको जल्दी नींद नही आती है ।

     कभी-कभी हम नींद के बीच में ही चौंककर जाग जाते हैं।  डर या तनाव के कारण नींद पूरी नहीं होती है।  मस्तिष्क की थकान के कारण दिनभर थकावट महसूस होता है।

  अनुशंसित मात्रा से अधिक भोजन करना -:

    हमें अपना भोजन थोड़ी भूख के साथ करना चाहिए ताकि हम जो खाते हैं वह ठीक से पच सके। पहले तो ऐसा लग सकता है कि हम कम खा रहे हैं, लेकिन बाद में हमें इसकी आदत हो जाती है।

  पर्याप्त व्यायाम न करना -:

     अपने शरीर को ऊर्जावान और खुश रखने के लिए हर सुबह कम से कम 30 मिनट तक अलग-अलग व्यायाम करना जरूरी है।  व्यायाम से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।  शरीर की कोशिकाएं बेहतर ढंग से काम करती हैं, आप दिनभर ऊर्जावान और खुश रहते हैं।



  आहार में प्रोटीन की मात्रा कम होना-:

      आपको अपने आहार में भरपूर मात्रा में फल, अंडे और दूध शामिल करना चाहिए।  प्रोटीन का उपयोग किया जाना चाहिए । अपने आहार में पनीर, मछली, दही, योगर्ट और नट्स का उपयोग करें।  फास्ट फूड पचाना कठिन होता है।  इसे खाने से बचें ।  भोजन समय पर खाएँ।

  मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें-:

   यदि आप अक्सर अधिक चीनी वाले मीठे खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो आप आलसी हो सकते हैं।  इससे आपको पूरे दिन थकान या सुस्ती महसूस हो सकती है।  कम चीनी वाले खाद्य पदार्थ खाने पर ध्यान दें।

  शरीर में आयरन की कमी-:
    
अगर हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन या खून कम हो जाए तो हम बिना कोई काम किए भी थका हुआ महसूस करते हैं।  मुझे अक्सर सिरदर्द और चक्कर आते हैं।  इसलिए अपने आहार में पत्तेदार सब्जियाँ, फल और हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों को शामिल करना महत्वपूर्ण है।

  तनाव-:
    कुछ समय उन कामों में लगाएं जो आपको पसंद हैं चाहे वे कार्यस्थल पर हों या घर पर।  गाने सुनना, फिल्में देखना, यात्रा करना आदि जो भी आपको पसंद हो।  जिससे आपके तनाव में कमी आएगी।  या फिर कुछ समय के लिए काम के तनाव से खुद को दूर रखें ताकि आपका मूड बेहतर हो और आप अधिक ऊर्जावान तरीके से काम कर सकें।

साभार

पोषण विशेषज्ञ एवं आहार विशेषज्ञ
  प्राकृतिक चिकित्सक
  डॉ०  भोरकर