वर्क - लाइफ बैलेंस - पैसा ,पॉवर, ग्रोथ

वर्क-लाइफ बैलेंस पर जारी बहस के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. अभी हाल ही में एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात कही थी. एक सर्वेक्षण में शामिल 78 प्रतिशत कर्मचारियों ने परिवार को प्राथमिकता देने की बात कही है. वैश्विक स्तर पर नौकरियों की जानकारी देने वाली वेबसाइट इनडीड की ‘फ्यूचर करियर रेजोल्यूशन’ रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसमें लगभग पांच में से चार (78 प्रतिशत) ने कहा कि वे 2025 में करियर में ग्रोथ के बजाय जीवनसाथी, बच्चों और माता-पिता के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देना चाहते हैं.

नौकरी के साथ चाहिए ये चीजें

इसमें कहा गया कि कर्मचारी कम तनाव चाहते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं. साथ ही अच्छी तनख्वाह वाली ऐसी नौकरी चाहते हैं जिससे वे जीवन का आनंद उठा सकें और जिसमें परिवार तथा व्यक्तिगत हितों के लिए लचीलापन हो. इंडीड के विपणन निदेशक (ऑस्ट्रेलिया, भारत और सिंगापुर) राचेल टाउनस्ले ने कहा कि हम निश्चित रूप से भारतीय कामगारों के लिए महत्वपूर्ण चीजों में बदलाव देख रहे हैं. अधिक से अधिक लोग हमें बता रहे हैं कि वे काम और घरेलू जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाना चाहते हैं. हालांकि, अधिक कमाई करना महत्वपूर्ण है, लेकिन अधिकतर लोगों के लिए अच्छे करियर का मतलब तरक्की से नहीं बल्कि सुरक्षित महसूस करने व उचित भुगतान पाने से है।

कितनी पुरानी है ये रिपोर्ट?

रिपोर्ट दिसंबर, 2024 से जनवरी, 2025 के बीच इंडीड की पूर्वानुमान विश्लेषण प्रणाली वालूवॉक्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें सिंगापुर, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के 6,126 कर्मचारियों और नौकरी चाहने वालों से संपर्क किया गया. इसमें भारत के 2,507 लोग शामिल थे. इसमें पाया गया कि बदलती प्राथमिकताओं के साथ-साथ भारतीय कर्मचारी नौकरी बाजार के प्रति भी आशावादी बने हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, 55 प्रतिशत लोगों ने उभरते क्षेत्रों और उद्योगों में अवसरों के विस्तार पर विश्वास व्यक्त किया है. इसमें शामिल भारतीयों में से 59 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों को नियुक्ति प्रक्रियाओं में भी बदलाव की उम्मीद है, जिसमें पारंपरिक डिग्री-आधारित योग्यता की तुलना में कौशल-आधारित भर्ती पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया, यह प्रवृत्ति प्रौद्योगिकी तथा कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे उभरते उद्योगों में नौकरी की बढ़ती मांग को दर्शाती है, जहां व्यावहारिक विशेषज्ञता तथा व्यावहारिक कौशल अक्सर औपचारिक शैक्षिक योग्यता से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

साभार -:  zeebiz.com

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