सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एक अनचाही बीमारी...
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण, संकेत, लक्षण एवं उपचार..
जब उपास्थियों (नरम हड्डी) और गर्दन की हड्डियों में घिसावट होती है तब सर्वाइकल की समस्या उठेगी। इसे गर्दन के अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है।
यह प्राय: वृद्धावस्था में उठता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस के अन्य दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस गर्दन के जोड़ों में होने वाले अपक्षय से सम्बंधित है जो उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ता है।
60 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों में प्राय: यह पाया जाता है। इसके कारण अक्षमता या अशक्तता हो जाती है।
बच्चों और युवाओं की तुलना में बूढ़े लोगो में पानी की मात्रा कम होती है जो डिस्क को सूखा और बाद में कमजोर बनाता है।
इस समस्या के कारण डिस्क के बीच की जगह गड़बड़ हो जाती है और डिस्क की ऊंचाई में कमी लाता है।
ठीक इसी प्रकार गर्दन पर भी बढ़ते दबाव के कारण जोड़ों और या गर्दन का आर्थराइटस होगा।
घुटने के जोड़ की सुरक्षा करने वाली उपास्थियों का यदि क्षय हो जाता है तो हड्डियों में घर्षण होगा।
उपास्थियों के कट जाने के बाद कशेरुका को बचाने के लिये हमारा शरीर इन जोड़ों पर नई हड्डियों को बना लेता है। यही बढ़ी हुई हड्डियां अक्सर समस्या खड़ी करती हैं।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण
सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस के होने के खतरों की सूची में कई सारे कारक शामिल हैं।
नीचे कुछ प्रमुख कारण बताये गये है..
● विषाक्त पदार्थो को निकालने और स्वस्थ बनाने के लिए।
● कोई गम्भीर चोट या सदमा गर्दन के दर्द को बढ़ा सकता है।
● धूम्रपान भी एक महत्तवपूर्ण कारक है।
●यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है।
● निराशा और चिंता जैसी समस्याओं के कारण हो सकता है।
● अगर आप ऐसा कोई काम करते है जिसमे आपको गर्दन या सिर को बारबार घुमाना पड़ता हो।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण
◆ कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है।
◆ ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है।
पर्याप्त आराम और कुछ देर के लिये लेट जाना, काफी फायदेमंद होगा।
◆ गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।
◆ सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।
◆ गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।
◆ हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।
◆ व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।
◆ गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।
◆ रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद,खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।
गर्दन के पीछे दर्द या गर्दन दर्द की पहचान करने के परीक्षण (Diagnosis tests)
◆ गर्दन या मेरूदण्ड का एक्स-रे, आर्थराइटिस और दूसरे अन्य मेरूदण्ड में होने वाले को जांचने में किया जाता है।
◆ जब व्यक्ति को गर्दन या भुजा में अत्यधिक दर्द होता तो एमआरआई करवाना होगा।
◆ अगर आपको हाथ और भुजा में कमजोरी होती है तो भी एमआरआई करना होगा।
◆ गर्दन के पीछे दर्द, तंत्रिका जड़ की कार्यप्रणाली को पता लगाने के लिये ईएमजी, तंत्रिका चालन वेग परीक्षण कराना होगा।
गर्दन दर्द का उपचार..
आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।
गर्दन दर्द का उपचार..
आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो।
कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।
गरदन का दर्द, ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा।
सर्वाइकल पेन या गर्दन के दर्द का इलाज
◆ सर्वाइकल पेन, पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।
◆ आपने तंत्रिका तंत्र को हमेशा नम रखें।
◆ गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।
◆ अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।
◆ कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें।
◆ अगर आपको हाथों और उंगलियों पर सुन्नता होती है तो तुरन्त चिकित्सक से मिलें।
◆ सर्वाइकल पेन में विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें।
◆ पीठ के बल बिना तकिया के सोयें।
◆ पेट के बल न सोयें।
समस्या बनी रहे तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लीजिए।