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Showing posts from 2025

दीपावली पर्व 2025....मां लक्ष्मी एवं श्री गणेश जी के पूजन के साथ ही पितृदोष से मुक्ति के उपाय जानिए....।

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दीपावली का त्योहार अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कुछ विशेष कार्य करके आप पितृदोष दूर कर सकते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे। दीपावली का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन से तो लाभ मिलता ही है साथ ही कुछ विशेष कार्य करके इस दिन आप पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं। दिवाली अमावस्या के दिन मनाई जाती है और अमावस्या को पितरों को समर्पित तिथि के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए आपको कार्तिक अमावस्या या दिवाली के दिन क्या-क्या काम करने चाहिए ? गंगा किनारे या पीपल तले करें ये उपाय अगर आपके जीवन में परेशानियां चली आ रही हैं, बनते काम बिगड़ते हैं, तो इसका कारण पितृदोष हो सकता है। इसे दूर करने के लिए दिवाली की शाम आपको गंगा नदी के किनारे या फिर किसी पीपल के पेड़ तले 16 दीपक पितरों को याद करते हुए जलाने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि, यह उपाय करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। उनको शांति मि...

पारिजात वृक्ष - कल्प वृक्ष

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पारिजात वृक्ष  *********** सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था, पारिजात नाम है इसका,इसे ही कल्पवृक्ष भी कहा गया है...।  पूरी रात सुगंध बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है! अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता, अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें, अद्भूत ताजगी मिलेगी....।  यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है....। इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता   एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था!  यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है, पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है, जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है, यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है!  यह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है, साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है...

खांसी से राहत के लिए ये 8 आयुर्वेदिक उपाय...।

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आप  अपने बच्चे को अगर नही देना चाहते Cough Syrup, तो खांसी से राहत के लिए ये 8 आयुर्वेदिक उपाय...। हाल ही में देश के कई राज्यों में Cough Syrup से बच्चों की मौत की खबरें सामने आई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कफ सिरप सुरक्षित नहीं है तो आखिर खांसी का इलाज कैसे करें? जानिए कि प्रकृति ने हमें कुछ ऐसे असरदार आयुर्वेदिक उपाय दिए हैं जो कि न सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि बच्चों की खांसी को जड़ से खत्म करने में भी मदद कर सकते हैं। खांसी की समस्या होने पर अक्सर माता-पिता बच्चों को तुरंत राहत देने के लिए कफ सिरप का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हाल ही में कुछ राज्यों में कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत की खबरें सामने आई हैं (Cough Syrup Controversy), जो कि बेहद चिंताजनक हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमें बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कफ सिरप में कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं जो बच्चों के लिए हानिकारक होते हैं, खासकर जब उनका सही तरीके से इस्तेमाल न किया जाए। इस बीच, अगर आप अपने बच्चे को बिना किसी साइड इफेक्ट के खांसी से आराम दिलाना चाहते हैं, तो आप कुछ आसान आयुर्वेदिक उपायो...

पंच तत्वों की साधना

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पंच तत्वों की साधना _________________ पंच तत्वों के द्वारा इस समस्त सृष्टि का निर्माण हुआ है। मनुष्य का शरीर भी पाँच तत्वों से ही बना हुआ है। इन तत्वों का जब तक शरीर में उचित भाग रहता है तब तक स्वस्थता रहती है। जब कमी आने लगती है तो शरीर निर्बल, निस्तेज, आलसी, अशक्त तथा रोगी रहने लगता है।  स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए यह आवश्यक है कि तत्वों को उचित मात्रा में शरीर में रखने का हम निरंतर प्रयत्न करते रहें और जो कमी आवे उसे पूरा करते रहें। नीचे कुछ ऐसे अभ्यास बताये जाते हैं जिनको करते रहने से शरीर में तत्वों की जो कमी हो जाती है उसकी पूर्ति होती रह सकती है और मनुष्य अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रहते हुए दीर्घ जीवन प्राप्त कर सकता है। पृथ्वी तत्व: पृथ्वी तत्व में विषों को खींचने की अद्भुत शक्ति है। मिट्टी की टिकिया बाँध कर फोड़े तथा अन्य अनेक रोग दूर किये जा सकते हैं। पृथ्वी में से एक प्रकार की गैस हर समय निकलती रहती है। इसको शरीर में आकर्षित करना बहुत लाभदायक है। प्रतिदिन प्रातःकाल नंगे पैर टहलने से पैर और पृथ्वी का संयोग होता है। उससे पैरों के द्वारा शरीर के विष खिच कर ...

रात्रि भोजन सही अथवा गलत ❓️आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं..।

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रात्रि भोजन गलत कैसे ? ================ हम सबने देखा होगा कि सूर्य की पहली किरणों से सूर्यमुखी और कमल जैसे पुष्‍प खिलते हैं.. और सूर्यास्त के साथ वापस वो पुष्‍प की पंखुड़ियां अपने आप बन्द हो जाती हैं…। क्या इस प्रक्रिया का इंसान के साथ कुछ सम्बंध है ? जी हाँ...  जैसे सूर्यमुखी की पंखुड़ियां सूर्य की उपस्थिति में खुलती है, वैसे ही हमारा जठर (आमाशय) का छोटा-सा मुँह भी खुल जाता है और सूर्यास्त होने के बाद वो अपने आप सिकुड़ जाता है…।  वैज्ञानिक और वैद कहते है, भोजन पचाने के लिये जरूरी ऑक्सीजन सूर्य की उपस्थिति से मिलता है। रात को लोग सोते क्यों हैं ? रात को सुस्ती क्यों आती हैं? रात को डर क्यों लगता हैं ? रात को कौन से जानवर शिकार के लिये बाहर निकलते हैं ? उल्लू ? बिल्ली ? कुत्ते ? भेड़िये ? जंगली जानवर? रात को ही काले काम क्यों होते हैं ?जैसे की चोरी, मार-काट....। रात को ही भूत – प्रेत जैसी बुरी शक्तियाँ क्यों महसूस होती है ? रात को ही आवारा, मक्कार और गन्दे लोग क्यू दिखाई देते है ?? उपर के कुछ सवालो से महसूस किया जाता है की … रात सोने लिये है.. हर प्राणी और जानवर नई उर्जा पाने ...

रावण कौन ❓️

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रावण कौन ?  बाल्मीकि रामायण में रावण का चरित्र एवं घटनाक्रमों का एक गूढ़ अध्यात्मिक रहस्य भी है, जिसमें रावण के इस राक्षस स्वरूप का वर्णन नही किया गया है।  रावण त्रेता युग का एक विशिष्ट ऐतिहासिक व्यक्तित्व रहा है वह रक्ष संस्कृति के रक्ष धर्म का पुनउद्धारक एवं प्रवर्तक रहा है, रक्षसंस्कृति के इतिहास और संस्कृति से रावण के संबंध के बारे में जानना आवश्यक है।  उस काल में विश्व में दो संस्कृतियाँ मुख्य रूप से विकसित हो रही थी इनमें से एक वैदिक संस्कृति थी दूसरी संभू संस्कृति थी वैदिक संस्कृति आक्रमणकारी संस्कृति थी (आर्यसंस्कृति) और वह सपाट मैदानों की संस्कृति थी जो नदियों के तटों पर विकसित हो रही थी यह कृषि प्रधान संस्कृति थी, जिस में पशुपालन,  गृह उद्योग का व्यवसाय होता था।  इनमें व्यवस्थित पारिवारिक सामाजिक ढांचा था और इसका प्रसार दूर-दूर तक था इनके पास उन्नत किस्म का विज्ञान था जो इस प्रकृति के उर्जा जगत से संबंधित था। इनके कुल नायक इन्द्र व उपेन्द्र (विष्णु) थे।  जिसका संबंध इनके यज्ञविधान से था। जिसे यह ब्रह्मविद्या कहते थे इनके विवरण अत्यंत ग...

देवी भागवत पुराण... संक्षिप्त विवरण।

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देवी भागवत पुराण  देवी भागवत पुराण हिंदू धर्म की भक्ति  के अंतर्गत जिसे शाक्तवाद कहा जाता है , का एक ग्रंथ है, जिसमें महान देवी की पूजा प्राथमिक रूप से की जाती है। देवी भागवत पुराण को सामान्यतः 18 "लघु" या संप्रदायगत पुराणों ( विश्वकोश संग्रह जिनके विषय ब्रह्मांड विज्ञान और ब्रह्माण्ड विज्ञान से लेकर देवताओं की पूजा के लिए अनुष्ठान निर्देशों तक विस्तृत हैं ) में सूचीबद्ध किया गया है। इसकी रचना की तिथि अज्ञात है; विद्वानों ने इसे छठी शताब्दी ईस्वी से लेकर 14वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक का माना है। संभवतः इसकी रचना बंगाल में, संभवतः एक निश्चित समयावधि में, स्थानीय संप्रदाय के सदस्यों द्वारा की गई थी, जिनकी भक्ति देवी पर केंद्रित थी। यह ग्रंथ 12 खंडों और 318 अध्यायों में विभाजित है। यह (अन्य पुराणों की तरह ) ब्रह्मांड की रचना के वृत्तांत से आरंभ होता है—यहाँ इस कृत्य का श्रेय देवी को दिया गया है, जो स्वयं को तीन शक्तियों , या ब्रह्मांडीय शक्तियों के रूप में प्रकट कर...

ITR रिफंड आया, लेकिन कम, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 3 बड़ी गलतियां...जानिए कौन-सी?

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ITR रिफंड आया, लेकिन कम! कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये 3 बड़ी गलतियां.... तुरंत चेक करें और पाएं पूरा पैसा! ITR Refund : इनकम टैक्स रिफंड मिलना हर किसी के लिए खुशी की बात है, लेकिन कई बार छोटी गलतियों की वजह से रिफंड उम्मीद से कम आता है. FY 2024-25 में लाखों लोग प्रभावित हुए। जानें ITR फाइलिंग की 3 बड़ी गलतियां और उन्हें सुधारकर पूरा पैसा पाने का तरीका. इनकम टैक्स रिफंड गलत आ जाए इनकम टैक्स रिफंड मिलना खुशी की बात है, लेकिन अगर रिफंड उम्मीद से कम हो आए, तो चिंता होती है. FY 2024-25 (AY 2025-26) के लिए ITR फाइल करने के बाद लाखों टैक्सपेयर रिफंड का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कई बार छोटी-छोटी गलतियां रिफंड कम कर देती हैं.ऐसे में इनकम टैक्स विभाग ने 2025 में अब तक करीब 1.60 लाख करोड़ के रिफंड जारी किए, लेकिन 40% ITR में मिसमैच से देरी या कम रिफंड हुआ.आइए, जानें कि 3 अहम गलतियां क्या हैं, कैसे सुधारें, और रिफंड सही कैसे पाएं.   लेट हो रहा है रिफंड वैसे तो FY 2024-25 (AY 2025-26) के लिए ITR फाइल करने के बाद रिफंड 4-5 हफ्तों में आना चाहिए, लेकिन कई लोग जुलाई से इंतजार कर रहे...

ब्रह्माण्ड और जीवन की अनंत यात्रा...।

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ब्रह्माण्ड और जीवन की अनंत यात्रा...।  क्या आपने कभी सोचा है कि आप कौन है ? आपका यह शरीर कहां से आया है ? आपके चेहरे की पहचान आप के स्वभाव की गहराई यह सब कहां से आया ? आप सिर्फ कुछ साल पहले जन्मे एक इंसान है तो क्या आप भी करोड़ों साल पुरानी एक यात्रा का हिस्सा है ? हम सोचते हैं कि इंसान जन्म लेता है ज्ञान कहता है कि हम में से कोई भी वास्तव में मरता नही.. कल्पना कीजिए आज आपका खून आपकी नसों में जो बह रहा है वह लाखों करोड़ों साल पुराना है। हमारी हर कोशिका में एक अमर कहानी लिखी हुई है, आप अपने अंदर अपने पूर्वजों की आवाज लिए बैठे हैं आपकी आंखें, आपका चेहरा, आपकी आदतें सब कुछ एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है हजारों साल पहले आपके पूर्वजों की जिन्दगी का हिस्सा है और यह सब कल आपकी आने वाली संतान में जाएगा।  आपकी उपस्थिति, आपके अनुभव, आपकी ताकत पीढ़ियों में चलते रहेंगे और आध्यात्मिक दृष्टि के अनुसार आत्मा न जन्म लेती है न मरती है।  आज का आधुनिक विज्ञान भी यही कहता है कि ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती है यानि कि अध्यात्म और विज्ञान दोनों एक ही सत्य की ओर इशारा कर रहे हैं दोनों मि...

काशी ( बनारस/ वाराणसी) में गुप्त रहस्य 64 (चौसठ/ चतुष्ट / चौसष्ट्टी ) योगिनी तीर्थ-यात्रा....।

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⭐ काशी में गुप्त रहस्य ६४ चौसठ/ चतुष्ट / चौसष्ट्टी योगिनी तीर्थ-यात्रा 🔱  ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖  समस्त पृथ्वी में सर्वतीर्थों की राजधानी काशी में गुप्त व गूढ़ -रहस्यों से भरी हुई, तीर्थ-यात्रा के बारे में दुर्लभ शास्त्रों,पुराणों, ग्रंथों,वेदों में वर्णित व प्रमाणित गुढ़-रहस्यो को आप भी जानिए....। कृष्णपक्षस्य भूतायामुपवासी नरोत्तमः। तत्र जागरणं कृत्वा महतीं सिद्धिमाप्नुयात् ।।४९।। प्रणवादिचतुर्थ्यन्तैर्नामभिर्भ क्तिमान्नरः। प्रत्येकं हवनं कृत्वा शतमष्टोत्तरं निशि।।५०।। संसर्पिषा गुग्गुलुना लघुकोलप्रमाणतः । यां यां सिद्धिमभीप्सेत तां तां प्राप्नोति मानवः ।।५१ ।। नामानीमानि यो मर्त्यञ्चतुःषष्टिं दिने दिने । जपेत त्रिसंध्यं तस्येह दुष्टबाधा प्रशाम्यति ।।४२ ।। न डाकिन्यो न शाकिन्यो न कूष्मांडा न राक्षसाः । तस्य पीडां प्रकुर्वन्ति नामानीमानि यः पठेत् ।।४३ ।। शिशूनां शांतिकारीणि गर्भशांतिकराणि च । रणे राजकुले वापि विवादे जयदान्यपि ।।४४ ।। लभेदभीप्सितां सिद्धिं योगिनीपीठ सेवकः । मन्त्रान्तरारायेपि जपंस्तत्पीठे सिद्धिभाग् भवेत् ।।४५ ।। बलिपूजोपहारैश्च धूपदीपसमर्पणैः । क्षिप्रं प्रस...