Saturday, 10 August 2024

तन्हाई में शाम गुजरना ठीक नही

#ग़ज़ल 

तन्हाई में शाम गुजरना ठीक नही।
महफ़िल में भी दर्द उभरना ठीक नही।

सच्चे वादे मजबूती हैं रिश्तों की ,
करके वादा रोज मुकरना ठीक नही।

हिम्मत से हालात बदलते देखा है, 
कैसी भी मुश्किल हो डरना ठीक नही ।

तेरे आने की राहें देखी हमने,
उम्मीदों का रोज बिखरना ठीक नही ।

सीधे सच्चे लोग तमाशा बन जाते,
हमदर्दी के दौर गुजरना ठीक नही ।

नाजुक दिल ये पत्थर इसको मत समझो,
मत उलझो जज्बातों से वरना ठीक नही ।

कहलाना इंसान हमारा भी हक़ है,
खोकर के सम्मान बिखरना ठीक नही ।
Nirupama Mishra 

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