तन्हाई में शाम गुजरना ठीक नही।
महफ़िल में भी दर्द उभरना ठीक नही।
सच्चे वादे मजबूती हैं रिश्तों की ,
करके वादा रोज मुकरना ठीक नही।
हिम्मत से हालात बदलते देखा है,
कैसी भी मुश्किल हो डरना ठीक नही ।
तेरे आने की राहें देखी हमने,
उम्मीदों का रोज बिखरना ठीक नही ।
सीधे सच्चे लोग तमाशा बन जाते,
हमदर्दी के दौर गुजरना ठीक नही ।
नाजुक दिल ये पत्थर इसको मत समझो,
मत उलझो जज्बातों से वरना ठीक नही ।
कहलाना इंसान हमारा भी हक़ है,
खोकर के सम्मान बिखरना ठीक नही ।
Nirupama Mishra
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