अर्धनारीश्वर

सामर्थ्य
सृजनशक्ति
पुरुष और प्रकृति,
आँखें देखती
बाहर तो
अकेलापन
अधूरापन,
अपने भीतर
झांके
पहचाने
तो एकांत
विवेक-बुद्धि
सद्बुद्धि,
मनन
मन
नमन,
शक्ति का प्रयोजन
अधूरा
जब तक नही है
शिवम्,

सारतत्व यही जीवन का
सत्यम, शिवम, सुन्दरम
जगत-ईश्वर
अर्धनारीश्वर
वसुधैव कुटुम्बकम
----- नीरु ( निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी) 

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