Tuesday, 28 January 2025

फिजियोथेरेपी

फिजियोथेरेपी
 
   इक्कीसवीं सदी में 'फिजियो' यानी फिजियो-थेरेपिस्ट को काफी महत्व मिल गया है। चाहे वह सचिन तेंदुलकर की लंगड़ाहट हो, शोएब अख्तर के कंधे की चोट हो या बेकहम की पीठ की चोट हो, हम इस चिकित्सक को देखते हैं जो तुरंत मैदान पर आ सकता है और खिलाड़ी को पांच मिनट के भीतर खेलने के तैयार कर  सकता है यहां तक ​​कि लाइव टेलीविजन पर भी।

  बीमारी के बाद आराम, हड्डी या मांसपेशियों की चोट के बाद राहत इस तेज रफ्तार उम्र में गायब होती जा रही है। फिजियोथेरेपिस्ट का काम चिकित्सा उपचार के दौरान या उसके बाद शरीर में विभिन्न जोड़ों, मांसपेशियों या आवश्यक गतिविधियों को संतुलित करना और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत और बहाल करना है।

  विज्ञान में जीव विज्ञान के साथ 12वीं उत्तीर्ण करने वाले छात्र चार साल की शिक्षा पूरी करने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट बन सकते हैं। शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, मांसपेशियों, हड्डियों, तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की बारीकियों को समझने के बाद, भौतिक चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू होता है। इसमें विभिन्न मेडिकल परीक्षण रिपोर्टों को पढ़ना और उनकी व्याख्या करना भी शामिल है।




वर्तमान में फिजियो भी कई प्रकार की मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं। अतीत में जो मशीनें या उपकरण शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को हिलाने और उन पर दबाव डालने का काम करते थे वे अब हल्के वजन के हो गए हैं और इन्हें घर पर आसानी से संभाला जा सकता है। लेकिन साथ ही उपचार उन्नत अल्ट्रासोनिक तरंगों, मांसपेशी उत्तेजक, शॉर्टवेव डायथर्मी, उपकरणों की मदद से किया जाता है जो तंत्रिका तंत्र में संवेदना की गति और सीमा को मापते हैं।
 
  आधुनिक उपचार में, जब कोई मरीज तीन दिनों से अधिक समय तक अस्पताल में रहता है तो एक फिजियोथेरेपिस्ट अक्सर उसके संपर्क में आता है। यही कारण है कि आधुनिक चिकित्सा बिस्तर पर पड़े रहने, शरीर को बहुत अधिक आराम देने को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानती है।

 संकलन : प्रवीण सर्वदे, कराड
(सृष्टि विज्ञानगाथा विज्ञान एवं दिन विशेष से)



साईलेंट हार्ट अटैक

हर साल लाखों लोग सीने में दर्द की शिकायत के कारण इमरेजेंसी वार्ड में इलाज के लिए एडमिट होते हैं. अगर आपको भी ऐसी किसी तरह की दिक्कत महसूस हो रही है, तो हो सकता है कि आपको दिल का दौरा पड़ रहा है लेकिन सीने में दर्द दूसरे कारणों से भी हो सकता है।
 हार्ट अटैक आजकल आम बात हो गई है. अगर आपको अपने आसपास या घर में हार्ट अटैक के संकेत दिखें तो आप मदद लेने में देरी न करें।
 कुछ हार्ट अटैक में दर्द तेज होते हैं वहीं कुछ हार्ट अटैक बड़े ही साइलेंट तरीके से अपना शिकार बनाते हैं।
जो तेज दर्द के साथ आते हैं उसमें फिर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है लेकिन दूसरी तरफ ऐसे भी हार्ट अटैक होते हैं जो एकदम साइलेंट तरीके से हल्के दर्द और बैचेनी के साथ शुरू होते हैं ।





हार्ट अटैक के कारण शरीर में होने लगती हैं ये दिक्कतें -:

पहले इस बीमारी से ज्यादातर बुजुर्ग लोग पीड़ित होते थे लेकिन अब हार्ट अटैक के मामले इतने आम हो गए हैं कि कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं।
 हार्ट अटैक के पीछे कई कारण होते हैं जैसे अगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आपको हार्ट अटैक आ सकता है।
 अगर हार्ट अटैक आने के बाद मरीज को तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचाया जाए तो जान भी जा सकती है।
ज्यादातर लोग सिर्फ सीने में दर्द को ही हार्ट अटैक का लक्षण मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।हार्ट अटैक आने से पहले हमारे शरीर के अंग कई तरह के संकेत देने लगते हैं. माना जाता है कि हार्ट अटैक का दर्द सीने से जुड़ा होता है, लेकिन इसके लक्षण शरीर के कई अंगों में भी दिखते हैं।



करीब 30% लोगों को सीने में दर्द के बिना दिल का दौरा पड़ता है। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक में हल्के लक्षण हो सकते हैं या बिल्कुल भी लक्षण नहीं हो सकते। इन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक आने की आशंका ज़्यादा रहती है. बुज़ुर्ग लोग, महिलाएं, मधुमेह के मरीज़, हार्ट फेल वाले लोग। 

साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
थकान
अपच
छाती या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
जबड़े, बांहों या ऊपरी पीठ में दर्द

जबड़े में दर्द भी कई बार हार्ट अटैक के कारण

इंग्लिश पॉर्टल इंडिया टीवी में छपी खबर के मुताबिक अहमदाबाद के न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. आकाश शाह बता रहे हैं कि सीने के अलावा शरीर में हार्ट अटैक का दर्द कहां होता है।
 सीने के अलावा शरीर के इन अंगों में दर्द शुरू होता है। गर्दन, जबड़े और कंधे में दर्द: हार्ट अटैक का दर्द सीने से गर्दन, जबड़े और कंधों तक फैल सकता है।



सीने में दर्द नहीं बल्कि पीठ में दर्द हार्ट अटैक के कारण-:

कुछ मरीज़ जो दिल के दौरे से पीड़ित हैं, वे ऊपरी पीठ में दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द अक्सर कंधे की हड्डियों के बीच होता है. यह महिलाओं में ज़्यादा आम है, लेकिन लोग आमतौर पर इसे मांसपेशियों में खिंचाव या थकान समझ लेते हैं। पेट दर्द: अक्सर अपच या अपच के लक्षण के रूप में भूल जाने वाला ऊपरी पेट दर्द दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है।
 अगर इन लक्षणों के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ़ और थकान के साथ-साथ मतली या उल्टी भी हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

Disclaimer: लेख में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लीजिये।

प्रोटीन से भरपूर दाल

प्रोटीन से भरपूर इन दालों को अपने आहार में शामिल करें...

शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए कई पोषक तत्वों के साथ प्रोटीन भी आवश्यक है।  प्रोटीन अंगों से लेकर मांसपेशियों, ऊतकों, हड्डियों, त्वचा और बालों तक हर चीज के लिए आवश्यक है।

 प्रोटीन हमारे रक्त में ऑक्सीजन को हमारे पूरे शरीर में ले जाते हैं।  यह एंटीबॉडी बनाने में भी मदद करता है जो संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।  कुछ लोगों का मानना ​​है कि केवल अंडे और पनीर ही प्रोटीन से भरपूर होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।  आप प्रतिदिन एक दाल खा सकते हैं, जिससे आपको भरपूर प्रोटीन मिलेगा।

 आहार में पर्याप्त प्रोटीन न मिलने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।  उदाहरण के लिए, ऊतकों को क्षति हो सकती है तथा मांसपेशियों को भी क्षति पहुंच सकती है।

 क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर को प्रतिदिन कितने प्रोटीन की आवश्यकता होती है?  ऐसा माना जाता है कि 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 13 ग्राम, 4 से 8 वर्ष के बच्चों को 19 ग्राम, 9 से 13 वर्ष के बच्चों को 34 ग्राम, 14 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं और लड़कियों को 46 ग्राम दूध का सेवन करना चाहिए। 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को 52 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। 19 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को 56 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।

 सरल शब्दों में, इसका मतलब यह है कि अधिकांश लोगों को प्रतिदिन 10% से 35% कैलोरी प्रोटीन से प्राप्त करनी चाहिए।  ड्राइविंग, वजन उठाना और दौड़ने जैसी गतिविधियों में अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रोटीन का प्रतिशत सीमित होता है।  कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रोटीन वजन घटाने और बेहतर पाचन के लिए आवश्यक है।
दालें भरपूर मात्रा में प्रोटीन प्रदान करती हैं

 दालों के सेवन से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है।  जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि जो लोग फलियां जैसे पौधे-आधारित खाद्य पदार्थ अधिक खाते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा कम होता है।  दाल भारत का मुख्य भोजन है और यहां सभी घरों में बनाई जाती है।  दालें न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती हैं।  दालें कई प्रकार की होती हैं और प्रत्येक दाल के अपने फायदे हैं।  दालों में शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।

 उड़द दाल (काली दाल)

 उड़द दाल को काली दाल भी कहा जाता है।  दालें फोलेट और जिंक का शक्तिशाली स्रोत हैं।  प्रत्येक कप उड़द दाल में 12 ग्राम प्रोटीन होता है।  प्रतिदिन एक कप उड़द दाल खाएं।

 हरी मूंग दाल

 मूंग दाल को हरी दाल भी कहा जाता है क्योंकि इसका छिलका हरा होता है।  यह दाल बिना छिलके वाली भी मिलती है, इसे सफेद मूंग दाल कहते हैं।  इस दाल के प्रत्येक आधा कप में 9 ग्राम प्रोटीन होता है।  हरी मूंग दालें आयरन का एक शक्तिशाली स्रोत हैं।  इसके अलावा मूंग दाल में पोटेशियम भी भरपूर मात्रा में होता है।

 साबुत दाल

 भूरे रंग की इस दाल को साबुत दाल भी कहा जाता है।  इस दाल के आधे कप में 9 ग्राम प्रोटीन होता है।  पकने पर यह दाल नरम हो जाती है।  इस दाल को चावल और चपाती के साथ खाया जाता है।  यह दाल कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन और फोलेट का बहुत अच्छा स्रोत है।

 लाल मसूर दाल, मसूर दाल

 लाल मसूर की दाल ऐसी ही एक दाल है जिसका सेवन व्यापक रूप से किया जाता है और इसे बनाना भी बहुत आसान है।  यह दाल छोटे बच्चों और शिशुओं के लिए भी एक अच्छा विकल्प है।  आधा कप लाल दाल में 9 ग्राम प्रोटीन होता है।  दालें सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन सी का भी समृद्ध स्रोत हैं।  यह दाल उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो वजन कम करना चाहते हैं और कम वसा वाले आहार का पालन करते हैं।
साभार

 

वर्क - लाइफ बैलेंस - पैसा ,पॉवर, ग्रोथ

वर्क-लाइफ बैलेंस पर जारी बहस के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. अभी हाल ही में एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात कही थी. एक सर्वेक्षण में शामिल 78 प्रतिशत कर्मचारियों ने परिवार को प्राथमिकता देने की बात कही है. वैश्विक स्तर पर नौकरियों की जानकारी देने वाली वेबसाइट इनडीड की ‘फ्यूचर करियर रेजोल्यूशन’ रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसमें लगभग पांच में से चार (78 प्रतिशत) ने कहा कि वे 2025 में करियर में ग्रोथ के बजाय जीवनसाथी, बच्चों और माता-पिता के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देना चाहते हैं.

नौकरी के साथ चाहिए ये चीजें

इसमें कहा गया कि कर्मचारी कम तनाव चाहते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं. साथ ही अच्छी तनख्वाह वाली ऐसी नौकरी चाहते हैं जिससे वे जीवन का आनंद उठा सकें और जिसमें परिवार तथा व्यक्तिगत हितों के लिए लचीलापन हो. इंडीड के विपणन निदेशक (ऑस्ट्रेलिया, भारत और सिंगापुर) राचेल टाउनस्ले ने कहा कि हम निश्चित रूप से भारतीय कामगारों के लिए महत्वपूर्ण चीजों में बदलाव देख रहे हैं. अधिक से अधिक लोग हमें बता रहे हैं कि वे काम और घरेलू जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाना चाहते हैं. हालांकि, अधिक कमाई करना महत्वपूर्ण है, लेकिन अधिकतर लोगों के लिए अच्छे करियर का मतलब तरक्की से नहीं बल्कि सुरक्षित महसूस करने व उचित भुगतान पाने से है।

कितनी पुरानी है ये रिपोर्ट?

रिपोर्ट दिसंबर, 2024 से जनवरी, 2025 के बीच इंडीड की पूर्वानुमान विश्लेषण प्रणाली वालूवॉक्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें सिंगापुर, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के 6,126 कर्मचारियों और नौकरी चाहने वालों से संपर्क किया गया. इसमें भारत के 2,507 लोग शामिल थे. इसमें पाया गया कि बदलती प्राथमिकताओं के साथ-साथ भारतीय कर्मचारी नौकरी बाजार के प्रति भी आशावादी बने हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, 55 प्रतिशत लोगों ने उभरते क्षेत्रों और उद्योगों में अवसरों के विस्तार पर विश्वास व्यक्त किया है. इसमें शामिल भारतीयों में से 59 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों को नियुक्ति प्रक्रियाओं में भी बदलाव की उम्मीद है, जिसमें पारंपरिक डिग्री-आधारित योग्यता की तुलना में कौशल-आधारित भर्ती पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया, यह प्रवृत्ति प्रौद्योगिकी तथा कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे उभरते उद्योगों में नौकरी की बढ़ती मांग को दर्शाती है, जहां व्यावहारिक विशेषज्ञता तथा व्यावहारिक कौशल अक्सर औपचारिक शैक्षिक योग्यता से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

साभार -:  zeebiz.com

गिलोय - अमृत बेल

गिलोय एक ही ऐसी  औषधि बेल है, जिसे संस्कृत  में अमृता नाम दिया गया है। गिलोय का वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। 

गिलोय के अनगिनत फायदे हैं आईये जिन्हें हम क्रमवार जानते हैं....

 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है गिलोय -:

गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।

 बुखार ठीक करती है गिलोय -:

अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लड़ने में मदद करती है इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

गिलोय के फायदे –:

 डायबिटीज के रोगियों के लिए जरूरी है गिलोय -:

गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाती है गिलोय -:

यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों  से  बचा रहता है।

स्ट्रेस कम करती है गिलोय -:

 प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।


 आँखों  की रोशनी बढ़ाये गिलोय -:

गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आँखों  की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

अस्थमा में भी फायदेमंद गिलोय -:

मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा के मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

 गठिया (अर्थराइटिस) में आराम दिलाये-:

गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

गिलोय का सेवन, एनीमिया से मुक्ति -:

भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।

कान का मैल बाहर निकाले गिलोय -:

कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर आ जाएगा।

 पेट की चर्बी कम करे गिलोय-:

गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

खूबसूरती का खजाना  गिलोय -:

गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है ।

गिलोय रखती है युवा -:

गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बर्तन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

बालों की समस्या होगी दूर -:

अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

गिलोय का प्रयोग ऐसे करें -:

अब आपने गिलोय के फायदे जान लिए हैं तो यह भी जानिए कि गिलोय को इस्तेमाल कैसे करना है…

गिलोय जूस-:

गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।

काढ़ा-:

चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पी जायें। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।

पाउडर-:

यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।

गिलोय वटी-:

बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।



अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से जोड़ों के  गठिया की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।खांड के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

गिलोय के साइड इफेक्ट्स-:

वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। 

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दें। 

 निवेदन :-- अपने घर में बड़े गमले या आंँगन में जहाँ भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय वरदान है।

साभार

Monday, 27 January 2025

पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय

पाचन तंत्र का सही से काम करना हमारे पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप बिना दवाइयों का सहारा लिए, सिर्फ कुछ आसान, प्राकृतिक उपायों से अपने पाचन तंत्र को मजबूत कर सकते हैं? 

जी हां, यह पूरी तरह से संभव है!  हम आपको वो सभी तरीके बताएंगे जिनसे आप बिना किसी दवाई के पाचन तंत्र को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं।


1. संतुलित आहार का सेवन करें-:

हमारा आहार हमारे पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव डालता है। अगर आप तैलीय, मसालेदार और भारी खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं, तो पाचन तंत्र पर दबाव बनता है। इसके बजाय, ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और दालों का सेवन करें। इन खाद्य पदार्थों में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन को आसान बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है। 

2. पानी पीने की आदत डालें-:

हमारे शरीर का 70% हिस्सा पानी है और पाचन प्रक्रिया के लिए पानी की जरूरत होती है। पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और पेट की सूजन को कम करने में मदद करता है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें। 

3. नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें-:

व्यायाम न केवल शरीर के अन्य अंगों को फिट रखता है, बल्कि यह पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है। योग, ताई ची, और हल्का वॉकिंग जैसे व्यायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूती देते हैं, जिससे खाना पचाने में मदद मिलती है। इससे रक्त संचार भी बेहतर होता है, जो पाचन तंत्र के लिए लाभकारी है। 

4. छोटी-छोटी, नियमित मात्रा में भोजन करें-:

आपका भोजन पेट पर भारी न पड़े इसके लिए दिन में तीन बड़े खाने के बजाय, 5-6 छोटे भोजन करने की आदत डालें। इससे पाचन तंत्र पर दबाव कम पड़ेगा और खाना अच्छे से पचेगा। इसके अलावा, खाने के बीच में लंबा समय न छोड़ें। 

5. तनाव को कम करें-:

तनाव का पाचन तंत्र पर गहरा असर पड़ता है। तनाव के कारण हमारी पाचन क्रिया धीमी हो सकती है और इससे पेट में गैस, जलन, और अन्य समस्याएं हो सकती हैं इसलिए मानसिक शांति के लिए ध्यान (Meditation), गहरी साँस लेने की प्रक्रिया, और पर्याप्त नींद को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। 


6. आंतों की सफाई करें (Detox)-:

आंतों की सफाई पाचन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आप प्राकृतिक तरीके से आंतों को डिटॉक्स कर सकते हैं। इसके लिए, नींबू पानी, अदरक, हल्दी, या शहद के साथ गर्म पानी का सेवन करें। यह आपके पाचन तंत्र को साफ करने और उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद करेगा। 

7. भोजन के बाद थोड़ी देर आराम करें-:

खाने के बाद तुरंत बिस्तर पर न जाएं। खाने के बाद 20-30 मिनट तक हल्का टहलना (हल्का चलना) करने से पाचन क्रिया तेज होती है। ऐसा करने से पेट में भारीपन महसूस नहीं होता और खाना अच्छे से पचता है। 

8. प्रॉबायोटिक्स का सेवन करें-:

प्रॉबायोटिक्स (जैसे दही, छाछ, या कुछ अन्य फर्मेंटेड फूड्स) पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं। ये आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन करने से पेट की समस्याएं दूर होती हैं। 

9. प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करें-:

अदरक, इलायची, धनिया, मेथी जैसे मसाले पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करते हैं। इनका सेवन चाय के रूप में या भोजन में भी किया जा सकता है। यह पेट की गैस, अपच और सूजन को कम करता है और पाचन को गति देता है। 

10. अच्छा नींद लें-:

नींद का पाचन तंत्र से सीधा संबंध है। अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो पाचन क्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लें, ताकि शरीर को अच्छे से आराम मिले और पाचन तंत्र ठीक से काम करे। 

इन सभी उपायों को अपनी दिनचर्या में अपनाकर आप बिना दवाइयों के पाचन तंत्र को मजबूत कर सकते हैं। यह सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। 


Thursday, 23 January 2025

दूध पीने के नियम

दूध पीने के नियम
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आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने  के कुछ नियम होते हैं जो कि इस प्रकार हैं -:

 सुबह के समय दूध सिर्फ काढ़े के साथ लिया जा सकता है । दोपहर में छाछ पीना चाहिए । दही की प्रकृति गर्म होती है  जबकि छाछ की ठंडी। रात में हो सके तो  बिना शक्कर के  दूध पीना चाहिए यदि संभव हो तो  गाय का घी १- २ चम्मच डाल के लीजिये । दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते हैं ।

जब बच्चे अन्य भोजन लेना शुरू कर दें जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है तो वह कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नही रह जाते हैं । कपालभाती, प्राणायाम और नस्य आदि  से बेहतर केल्शियम एब्जॉर्ब होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नही हो सकती  साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक भी विकास होगा।



 दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ नही लेना चाहिए इससे त्वचा विकार हो सकते हैं। 

दूध के साथ बेहतर पोषण के लिए  चने, दाने, सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू खाने चाहिए । यही  प्रयत्न करें  कि  देशी गाय का दूध मिल सके। जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है।

दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही नही मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ नही खाएं . खीर के साथ नामकीन पदार्थ नही खाने चाहिए ।

चावल में दूध के साथ नमक न डालिये। सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल नही करें।

 द्विदल यानी कि  दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है अगर करना ही पड़े तो दही को हींग  जीरा की छौंक- बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लीजिये।

 रात में दही या छाछ का सेवन नही करें।

ताजा, जैविक और बिना हार्मोन की मिलावट वाला दूध सबसे अच्‍छा होता है। पैकेट में मिलने वाला दूध नहीं पीना चाहिये। 

दूध को गरम या उबाल कर पियें। अगर दूध पीने में भारी लगे तो उसे उसमें थोड़ा पानी मिला कर उबालें। 

 दूध में एक चुटकी अदरक, लौंग, इलायची, केसर, दालचीनी और जायफल आदि की मिलाएं इससे आपके पेट में अतिरिक्त गर्मी बढ़ेगी जिसकी मदद से दूध हजम होने में आसानी होगी। 

 अगर आप को डिनर करने का मन नही है तो आप रात को एक चुटकी जायफल और केसर डाल कर दूध पियें। इससे नींद भी अच्‍छी आती है। 

 किसी भी नमकीन चीज़ के साथ दूध का सेवन नही करें। क्रीम सूप या फिर पनीर को नमक के साथ न खाएं। दूध के साथ खट्टे फल भी नही खाने चाहिये। दूध और मछली एक एक साथ सेवन नहीं करना चाहिये, इससे त्‍वचा खराब हो जाती है।


साभार 
पं० देवशर्मा