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Showing posts from January, 2025

फिजियोथेरेपी

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फिजियोथेरेपी      इक्कीसवीं सदी में 'फिजियो' यानी फिजियो-थेरेपिस्ट को काफी महत्व मिल गया है। चाहे वह सचिन तेंदुलकर की लंगड़ाहट हो, शोएब अख्तर के कंधे की चोट हो या बेकहम की पीठ की चोट हो, हम इस चिकित्सक को देखते हैं जो तुरंत मैदान पर आ सकता है और खिलाड़ी को पांच मिनट के भीतर खेलने के तैयार कर  सकता है यहां तक ​​कि लाइव टेलीविजन पर भी।   बीमारी के बाद आराम, हड्डी या मांसपेशियों की चोट के बाद राहत इस तेज रफ्तार उम्र में गायब होती जा रही है। फिजियोथेरेपिस्ट का काम चिकित्सा उपचार के दौरान या उसके बाद शरीर में विभिन्न जोड़ों, मांसपेशियों या आवश्यक गतिविधियों को संतुलित करना और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत और बहाल करना है।   विज्ञान में जीव विज्ञान के साथ 12वीं उत्तीर्ण करने वाले छात्र चार साल की शिक्षा पूरी करने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट बन सकते हैं। शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, मांसपेशियों, हड्डियों, तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की बारीकियों को समझने के बाद, भौतिक चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू होता है। इसमें विभिन्न मेडिकल परीक्षण रिपोर्टों को पढ़ना और उनकी व्याख्या ...

साईलेंट हार्ट अटैक

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हर साल लाखों लोग सीने में दर्द की शिकायत के कारण इमरेजेंसी वार्ड में इलाज के लिए एडमिट होते हैं. अगर आपको भी ऐसी किसी तरह की दिक्कत महसूस हो रही है, तो हो सकता है कि आपको दिल का दौरा पड़ रहा है लेकिन सीने में दर्द दूसरे कारणों से भी हो सकता है।  हार्ट अटैक आजकल आम बात हो गई है. अगर आपको अपने आसपास या घर में हार्ट अटैक के संकेत दिखें तो आप मदद लेने में देरी न करें।  कुछ हार्ट अटैक में दर्द तेज होते हैं वहीं कुछ हार्ट अटैक बड़े ही साइलेंट तरीके से अपना शिकार बनाते हैं। जो तेज दर्द के साथ आते हैं उसमें फिर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है लेकिन दूसरी तरफ ऐसे भी हार्ट अटैक होते हैं जो एकदम साइलेंट तरीके से हल्के दर्द और बैचेनी के साथ शुरू होते हैं । हार्ट अटैक के कारण शरीर में होने लगती हैं ये दिक्कतें -: पहले इस बीमारी से ज्यादातर बुजुर्ग लोग पीड़ित होते थे लेकिन अब हार्ट अटैक के मामले इतने आम हो गए हैं कि कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं।  हार्ट अटैक के पीछे कई कारण होते हैं जैसे अगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आप...

प्रोटीन से भरपूर दाल

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प्रोटीन से भरपूर इन दालों को अपने आहार में शामिल करें... शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए कई पोषक तत्वों के साथ प्रोटीन भी आवश्यक है।  प्रोटीन अंगों से लेकर मांसपेशियों, ऊतकों, हड्डियों, त्वचा और बालों तक हर चीज के लिए आवश्यक है।  प्रोटीन हमारे रक्त में ऑक्सीजन को हमारे पूरे शरीर में ले जाते हैं।  यह एंटीबॉडी बनाने में भी मदद करता है जो संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।  कुछ लोगों का मानना ​​है कि केवल अंडे और पनीर ही प्रोटीन से भरपूर होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।  आप प्रतिदिन एक दाल खा सकते हैं, जिससे आपको भरपूर प्रोटीन मिलेगा।  आहार में पर्याप्त प्रोटीन न मिलने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।  उदाहरण के लिए, ऊतकों को क्षति हो सकती है तथा मांसपेशियों को भी क्षति पहुंच सकती है।  क्या आप जानते हैं कि आपके शरीर को प्रतिदिन कितने प्रोटीन की आवश्यकता होती है?  ऐसा माना जाता है कि 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 13 ग्राम, 4 से 8 वर्ष के बच्चों को 19 ग्राम, 9 से 13 वर्ष के बच्चों को 34 ग्राम,...

वर्क - लाइफ बैलेंस - पैसा ,पॉवर, ग्रोथ

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वर्क-लाइफ बैलेंस पर जारी बहस के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. अभी हाल ही में एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात कही थी. एक सर्वेक्षण में शामिल 78 प्रतिशत कर्मचारियों ने परिवार को प्राथमिकता देने की बात कही है. वैश्विक स्तर पर नौकरियों की जानकारी देने वाली वेबसाइट इनडीड की ‘फ्यूचर करियर रेजोल्यूशन’ रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसमें लगभग पांच में से चार (78 प्रतिशत) ने कहा कि वे 2025 में करियर में ग्रोथ के बजाय जीवनसाथी, बच्चों और माता-पिता के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देना चाहते हैं. नौकरी के साथ चाहिए ये चीजें इसमें कहा गया कि कर्मचारी कम तनाव चाहते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं. साथ ही अच्छी तनख्वाह वाली ऐसी नौकरी चाहते हैं जिससे वे जीवन का आनंद उठा सकें और जिसमें परिवार तथा व्यक्तिगत हितों के लिए लचीलापन हो. इंडीड के विपणन निदेशक (ऑस्ट्रेलिया, भारत और सिंगापुर) राचेल टाउनस्ले ने कहा कि हम निश्चित रूप से भारतीय कामगारों के लिए महत्वपूर्ण चीजों में बदला...

गिलोय - अमृत बेल

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गिलोय एक ही ऐसी  औषधि बेल है, जिसे संस्कृत  में अमृता नाम दिया गया है। गिलोय का वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।  गिलोय के अनगिनत फायदे हैं आईये जिन्हें हम क्रमवार जानते हैं....  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है गिलोय -: गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।  बुखार ठीक करती है गिलोय -: अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के...

पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय

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पाचन तंत्र का सही से काम करना हमारे पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप बिना दवाइयों का सहारा लिए, सिर्फ कुछ आसान, प्राकृतिक उपायों से अपने पाचन तंत्र को मजबूत कर सकते हैं?  जी हां, यह पूरी तरह से संभव है!  हम आपको वो सभी तरीके बताएंगे जिनसे आप बिना किसी दवाई के पाचन तंत्र को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं। 1. संतुलित आहार का सेवन करें-: हमारा आहार हमारे पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव डालता है। अगर आप तैलीय, मसालेदार और भारी खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं, तो पाचन तंत्र पर दबाव बनता है। इसके बजाय, ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और दालों का सेवन करें। इन खाद्य पदार्थों में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन को आसान बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है।  2. पानी पीने की आदत डालें-: हमारे शरीर का 70% हिस्सा पानी है और पाचन प्रक्रिया के लिए पानी की जरूरत होती है। पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और पेट की सूजन को कम करने में मदद करता है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।...

दूध पीने के नियम

दूध पीने के नियम ______________ आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने  के कुछ नियम होते हैं जो कि इस प्रकार हैं -:  सुबह के समय दूध सिर्फ काढ़े के साथ लिया जा सकता है । दोपहर में छाछ पीना चाहिए । दही की प्रकृति गर्म होती है  जबकि छाछ की ठंडी। रात में हो सके तो  बिना शक्कर के  दूध पीना चाहिए यदि संभव हो तो  गाय का घी १- २ चम्मच डाल के लीजिये । दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते हैं । जब बच्चे अन्य भोजन लेना शुरू कर दें जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है तो वह कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नही रह जाते हैं । कपालभाती, प्राणायाम और नस्य आदि  से बेहतर केल्शियम एब्जॉर्ब होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नही हो सकती  साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक भी विकास होगा।  दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ नही लेना चाहिए इससे त्वचा विकार हो सकते हैं।  दूध के साथ बेहतर पोषण के लिए  चने, दाने, सत्तू , मिक्स्ड आटे के ल...