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Showing posts from August, 2016

रंग में रंग मिलता गया

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आपके प्यार में खो गये इश्क में रतजगे हो गये दर्द भूले सभी खो गये प्यार के काफिले हो गये ठीक था होंठ चुप ही रहे बात से जलजले हो गये बात में बात जुड़ती गई बात से फलसफ़े हो गये  रं...

अभी राज़ अपना बताया नही है

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अभी प्यार हमने जताया नही है अभी हाल दिल का बताया नही है बहुत ख्वाब देखा निगाहों से ओझल अभी आँख में सब सजाया नही है रुके जो नही है हमारी निशानी अभी चाल अपनी दिखाया नही है कई कर...

तू खुदा हो गया

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देखते आपको इक नशा हो गया प्यार दिल ने किया तू खुदा हो गया आजकल रात से बात होने लगी फिर सुबह का पता बावरा हो गया हम कहें क्या इसी सोच में रह गये प्यार की इक अदा सांवरा हो गया इक हमारे नही हो सकेंगे वही दिल हमारा किसी पर फिदा हो गया बात कुछ खास हममें कहीं तो रही दूर होते हुए सिलसिला हो गया सामने आप हों तो खुशी मिल गई दूर जाते हुए दिल अनमना हो गया देखिये गौर से "नीरु"  तस्वीर में दर्द देेेकर वही फिर दवा हो गया  ---- नीरु ( निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी)

दवा दिल की पीर के

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जो चल पड़ेंगे अंधेरों को चीर के दवायें  बनेंगे वही  दिल की पीर के हैं भूलनी पीड़ा तो सब प्रथायें सड़ी -गली  अब बनेंगी जिंदगी की परिभाषायें नई -नई होंगे नही  फकीर हम किसी लकीर के जो चल ----- वही बनेंगे------ खुशी टूटे दिल की , मिली नज़र को रोशनी गुमसुम खोयेगी  कब चार दिन की चाँदनी  बनकर  ग़ज़ल-गीत रहना है नज़ीर  के जो चल------- वही बनेंगे------ हो जाये  कितना भी कद ये खजूर तो नही  आँसू किसी आँख में हमें मंजूर तो नही  छाया  भी मिले नही क्यों  राहगीर के  जो चल पड़ेंगे अंधेरों को चीर के  दवायें वही बनेंगे दिल की पीर के  ------- नीरु