रंग दे बसंती चोला

भर दे मन की पिचकारी भारत माँ दुलारी, तीन रंग में होती होली, विश्व गुरु बनकर लहराये तिरंगा - हिंदुस्तान देश के लिए तन मन धन सब हो जाये कुर्बान ----- निरुपमा मिश्रा
मन के बोल पर जब जिंदगी गहरे भाव संजोती है, विह्वल होकर लेखनी कहीं कोई संवेदना पिरोती है, तुम भी आ जाना इसी गुलशन में खुशियों को सजाना है मुझे, अभी तो अपनेआप को तुझमें पाना है मुझे