आता है सभी के जीवन में
प्रेम,विश्वास, अपनेपन का सवेरा,
लाता है जो अंधेरों में
आत्मविश्वास की रोशनी,
पर ये तभी तो होगा
जब मन के द्वार
बंद न हों हमारे,
वरना धुंधलका
घिरता ,बढ़ता जाता अंधेरा,
जो लिपटा रहता
है हमारे चारो तरफ
सर्प की तरह,
डसते रहते दिन के उजाले
गहरा जाता गहरी रातों का
अंधेरा
-नीरु 'निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी'
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