Tuesday, 13 July 2021

मन की पीड़ा झुठलाई



 दिवंगत पूज्यनीय पिता जी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि....🙏

मोहक सरल छवि आपकी सागर सी गहराई।
व्यक्तित्व गगन के जैसा धरती सम करुणा पाई।

साहस का पर्याय आप थे संघर्षों से भरा था जीवन,
ममता की मूरत थे हरदम निर्मल निश्छल था अंतर्मन,
मधुर बोल की औषधि से मन की पीड़ा झुठलाई।

पथ प्रदर्शक आशा ज्योति जीवन भर ही कर्म रहा,
सुख दुख में समदर्शी थे परोपकारी मर्म रहा,
जीवन अनमोल धरोहर बात हमेशा सिखलाई।

सखा पिता बेटा भाई पति रूप अनूप आपके,
सदगुणों के महासागर उत्तम इंसान आप थे,
धन्य भाग्य मेरे मै जो सुता आपकी कहलाई।

निरुपमा मिश्रा 'नीरू''

Saturday, 27 March 2021

सतरंगी प्रीत

प्रमुदित मन संचित करे,हरदम ही उल्लास।
रंग सदैव उमंग का, जीवन में मधुमास।१।

भाव भावना भेद को, नेक लगायें रंग।
अमिट रहेगा उम्र भर, सहज नेह का ढंग।२।

नयन झुकाये लाज से, अधर सजी मुस्कान।
प्रिय के रंग में रंगी,सजनी एक सुजान।३।

तन मन पर यूँ छा गया, रंग गुलाल अबीर।
लोकलाज सब भूल कर, अंतस हुआ अधीर।४।

रंग एक हो मीत का, सतरंगी हो प्रीत।
विश्वास अटल प्रेम का, मन को लेता जीत।५।

होली की शुभकामना, करिये मीत कबूल।
ईर्ष्या द्वेष अतीत के, दर्द हृदय के भूल।६।

बचें केमिकल रंग से, कर देते बीमार।
प्राकृतिक रंग ही सदा,खुशियों का उपहार।७।

निरुपमा मिश्रा 'नीरू'