हवाओं की खुशबू में है
जिसे खोजती रहीं निगाहें वो मेरे पहलू में है आईना वही तो दिल का जो मेरी आरजू में है मुस्कराने लगी ये कायनात देख अदायें उसकी वो तो गुलशन की झूमती हवाओं की खुशबू में है ------ नीरु
मन के बोल पर जब जिंदगी गहरे भाव संजोती है, विह्वल होकर लेखनी कहीं कोई संवेदना पिरोती है, तुम भी आ जाना इसी गुलशन में खुशियों को सजाना है मुझे, अभी तो अपनेआप को तुझमें पाना है मुझे