कितनी सहजता से
तारीखों के
बदलते ही
कैलेंडर
बदल जाते ,
समय- परिस्थितियां
भी
बदल ही जाते,
माटी के तन
में एक मन
जो इन सबके बीच
समेटते- सहेजते
बनते- बिगड़ते
एक जैसा
कहां रहता,
बदलाव की प्रक्रिया में
सकारात्मक
सृजनात्मक
रहने के लिए
ज्ञान- विवेक
बनाये रखना
आसान तो नही,
जटिल जीवन की
शक्तिशाली मन की
सरलता- सहजता को
श्रेष्ठ दिशागत
प्रवाह की ओर
आइये मिलकर ले चलते
आशाओं-उम्मीदों से
नव वर्ष की ओर
साथ-साथ चलते
----- निरुपमा मिश्रा (नीरू)
नव वर्ष विक्रम संवत २०७३ की हार्दिक शुभकामनायें
मन के बोल पर जब जिंदगी गहरे भाव संजोती है, विह्वल होकर लेखनी कहीं कोई संवेदना पिरोती है, तुम भी आ जाना इसी गुलशन में खुशियों को सजाना है मुझे, अभी तो अपनेआप को तुझमें पाना है मुझे
Friday, 1 April 2016
नववर्ष
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