सतरंगी प्रीत

प्रमुदित मन संचित करे,हरदम ही उल्लास। रंग सदैव उमंग का, जीवन में मधुमास।१। भाव भावना भेद को, नेक लगायें रंग। अमिट रहेगा उम्र भर, सहज नेह का ढंग।२। नयन झुकाये लाज से, अधर सजी मुस्कान। प्रिय के रंग में रंगी,सजनी एक सुजान।३। तन मन पर यूँ छा गया, रंग गुलाल अबीर। लोकलाज सब भूल कर, अंतस हुआ अधीर।४। रंग एक हो मीत का, सतरंगी हो प्रीत। विश्वास अटल प्रेम का, मन को लेता जीत।५। होली की शुभकामना, करिये मीत कबूल। ईर्ष्या द्वेष अतीत के, दर्द हृदय के भूल।६। बचें केमिकल रंग से, कर देते बीमार। प्राकृतिक रंग ही सदा,खुशियों का उपहार।७। निरुपमा मिश्रा 'नीरू'