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अक्षरों में एहसास के पल

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हंसमुख स्वभाव की थी नवधा और उसके पति संयम भी उसी के स्वभाव के जैसे थे | दोनों पति-पत्नी को कहानी, कविताओं, शेरो-शायरी का बहुत शौक़ था, नवधा तो कभी-कभार कहानियां-कविताएं आदि भी लिखा करती जिसके पहले पाठक अक्सर उसके पति ही हुआ करते , नवधा को बचपन से ही लिखने का शौक़ रहा इसलिए वो अपने विवाह के पहले जब भी कुछ लिखा करती तो सबसे छुपा कर अपने माता-पिता, भाई-बहनों को पढ़ाया करती थी, नवधा का परिवार उसके लेखन को सराहता, और भी बेहतरीन लिखने को हमेशा प्रेरित भी किया करता, शादी के बाद उसके ससुराल में भी किसी को उसके लेखन के शौक पर कोई आपत्ति नहीं थी|     विवाह के बाद कुछ दिनों तक तो नवधा का लेखन का हुनर छिप-सा गया था मगर परिवार वालों की इच्छा के अनुसार और अपने कुछ ख़ास दोस्तों का दिल रखने के लिए नवधा ने समय निकाल कर फिर से लेखनी थामी | एक दिन नवधा अपने रोज़मर्रा के काम-काज़ निपटा रही थी कि आलमारी साफ़ करते समय उसके हाथों में उसके पति की एक पुरानी डायरी लगी तो वो उसके पन्ने पलटने लगी, बीच में गुलाबी स्याही से लिखी प्यार भरी तहरीर पढ़ कर वो सोचने लगी कि ये क्या है , क्या उसके पति की विवाह से पह...