Posts

Showing posts from April, 2017

बच्चे मन के सच्चे

Image
"ओह्ह,धूप तो बहुत तीखी है", मधुर, मगर बेबस आवाज़ के पीछे आस-पास बिखरी हुई कई निगाहें, सिमट कर देखने लगीं कि ये किसने कहा| सबने देखा तो जाना ये तो एक मध्यम कद कि सुंदर-सी सांवली सलोनी महिला के मुख से छलकी हुई शब्द लहरी है, जो अपने दो छोटे मासूम बच्चों को लिए बस स्टॉप पर अपने गंतव्य की ओर जाने वाली बस के इंतज़ार में पेड़ों की छाँव ख़ोज़ते पसीने से तर-बतर हुई जा रही थी|    उस महिला के साथ के बच्चे भी अपनी माँ का आँचल थामें हुए कड़ी धूप से तिलमिला रहे थे, वो कभी अपनी माँ को देखते तो कभी पीछे लगी दुकानों पर टंगे हुये खिलौने आदि, कभी निगाहें दौड़ा कर चिप्स,कुरकुरे और टाफ़िज़ खोजने लगते, माँ से अपनी मांगें मनवाने के लिए बीच-बीच में कुनमुना भी रहे थे मगर माँ कड़ी धूप से अपने बच्चों को बचाने के लिए जल्दी से बस के आने की मन ही मन ही प्रार्थना करने लगी जो कि उसके मुट्ठियों के बंद होने और खुलने के साथ बुदबुदाते होंठों से सभी देखने वालों को साफ़ महसूस हो रहा था|   बस स्टेशन से सूचना मिलने पर कि बस देर से आएगी क्योंकि रास्ते में ट्रैफ़िक बहुत है ,माँ अपने बच्चों को लेकर बगल के गन्ने वाले जूस की ...