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Showing posts from January, 2015

प्रियतम अनुगामी

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प्रियतम अनुगामी चली मैं आत्ममुग्धा- सी, प्रेमिल- स्पर्श-पवन जैसे हो जीवन -अमृत, क्षितिज के पार मिलन तत्पर अम्बर और वसुंधरा मिलना भी है अनुपम शाश्वत युग से निर्धारित , विह्व...

नन्ही शक्सियत

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नन्ही शक्सियत जिसे कहते हैं हम आने वाला कल आज  यहीं कहीं तो खोया होगा , हम हाथ में लेकर जुगनुओं को खोजते हैं उसका पता-ठिकाना और रचते जाते हैं फूल-पत्ती-मौसम-बहार नफरत-प्यार क...

दोहे

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विपदा के दिन भी भले, रहते हैं दिन चार हित- अनहित का भेद दें, सिखायें जगत सार अंखियन की आशायें , लखे सहज मनमीत हृदय सुनाये क्यों वही, विरह के विगत गीत मन में रही व्याकुलता , अब अवलो...

भारत ऐसा गणतंत्र रहे

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सदा गणना में श्रेष्ठतम भारत ऐसा गणतंत्र रहे सुरक्षित स्वाभिमान देश का हम रखकर ही स्वतंत्र रहे भेद,अभाव,विषमताओं के बंध त्याग चलें सब साथ उन्नति ,सुशासन,अनुशासन प्रतीक ये ...

मन के बोल

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फेसबुक मित्र  निरुपमा मिश्रा "नीरु " का दैनिक लोकजंग प्रकाशन -भोपाल से प्रकाशित काव्य संग्रह  "मन के बोल" पिछले सप्ताह डाकिया पकड़ा गया, नीरु से मेरा धर्म बहन का नाता । शायद क...

विद्यादायिनी

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नही भ्रमवश तितिक्षायें, उपासना नित ज्ञान विस्मृत लोभ - लिप्सायें, आराधन का ध्यान आराधन का ध्यान , निशिदिन विद्यादायिनी उल्लासित मन सदा, प्रखर बुद्धि सुखदायिनी रत क्यों छ...

सत्य से भ्रमित नयन क्यों ?

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सत्य  से भ्रमित नयन क्यों ? लक्ष्य से थकित चरण क्यों ? साथ हों हृदय की संवेदनायें, भाव में प्रणव की आराधनायें, दर्प से दमित वदन क्यों ? सत्य से भ्रमित नयन क्यों ? क्यों हुआ विचलि...