औरत की आँखों से दुनिया
औरत की आँखों से दुनिया यही तो गड़बड़ी है कि औरतों की आँखों से दुनिया नहीं देखी जाती तभी तो करुणा-दया-ममत्व रहित हुआ संसार हिंसा, चोरी, डकैती, अनाचार लूट- खसोट और मक्कारी ...
मन के बोल पर जब जिंदगी गहरे भाव संजोती है, विह्वल होकर लेखनी कहीं कोई संवेदना पिरोती है, तुम भी आ जाना इसी गुलशन में खुशियों को सजाना है मुझे, अभी तो अपनेआप को तुझमें पाना है मुझे