Thursday 19 October 2017

अमावस की रात में

गुनगुनाये रागिनी जैसे, तुम अमावस की रात में

खिखिलाये फूल जैसे,तुम खुशबुओं की बरसात में

अमरबेल-सा प्रेम अपना, रहेगा हरदम सदियों तक

जगमगाये दीपक जैसे, तुम मन-आँगन-बारात में
---- नीरु ( निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी)

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