Sunday 29 November 2015

चिराग़

साथ दिल के चिराग़ जलते हैं
ये हुनर भी कमाल रखते हैं  

रात काली रही किसे है ग़म
रोशनी का वजूद रखते हैं

दे गया ख्वाब फिर नया कोई
प्यार के रंग खास सजते हैं

हो सके तो वहीं नज़र रखना
दिल कहाँ किस तरह मचलते हैं 

राज़ की बात कह गईं आँखें
आप फिर भी सवाल करते हैं
---- निरुपमा मिश्रा

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