Thursday 22 October 2015

हौसला पतवार है

वक्त के आगे कहाँ चलता किसी का वार है
जो नही समझे समय पर तो गया वो हार है

कौन कितना है सही कोई कहे कैसे भला
हम सही हैं तुम गलत हो बस यही तकरार है

चाल चलने में लगी कैसी दिमागी  साजिशें
दिल बहुत मासूम धोखा  यार बेशुमार है

कह रहा है कौन अपने आप से ही बस यही
पास आयेगा किनारा हौसला  पतवार है

बीत जायेगा  समय जो खार बनकर है मिला
प्यार है जब साथ अपने कब खुशी दुश्वार है
------- नीरु 'निरुपमा मिश्रा  त्रिवेदी'



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